रायपुर। CG Ki Baat: छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीत सत्र समाप्त हो गया है। 16 दिसंबर से 20 दिसंबर तक चले सत्र में सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पास कराए तो विपक्ष ने कुछ बड़े मुद्दों पर बहस छेड़कर सरकार को घेरा। मुद्दों पर हंगामा और सदन से वॉकआउट कर विपक्ष ने सबका ध्यान आकर्षित किया। हंगामेदार रहे इस शीत सत्र में मुद्दों का शोर, सवालों के तीर और कुछ मुद्दों पर सत्तापक्ष के विधायकों का अपने ही मंत्रियों को घेरना भी प्रदेश ने देखा। सवाल ये है कि, इस छोटे से सत्र से जनता को क्या मिला है, इस शीत सत्र की बड़ी तस्वीर क्या रही, इसी पर होगी खुली बहस।
छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीत सत्र कई मायनों में खास रहा। सत्र की कुल 4 बैठकों में करीब 21 घंटे चर्चा हुई, सत्र के दौरान कुल 814 प्रश्न पूछे गए। सबसे अहम रहा नगर पालिका संशोधन विधेयक पारित होना, इसके जरिए नगर निगम महापौर, नगर पालिका और नगर पंचायतों के अध्यक्षों के सीधे चुनाव का रास्ता साफ हुआ। इसी संशोधन के साथ चुने हुए निकाय प्रमुख बिना किसी दवाब के काम कर सके। इसके लिए उन्हें हाटने की प्रक्रिया कठिन करते हुए, राइट-टू-रिकॉल लागू हुआ। निकायों में OBC आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी की गई।
CG Ki Baat: सत्र में भूमि कानूनों में सुधार के लिहाज से अहम भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक, अनाधिकृत विकास के नियमितिकरण विधेयक पारित किए गए। साथ ही 806 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट पास किया गया। इसके अलावा सरकार ने कुछ बड़े मामलों की जांच के बाद कार्रवाई का ऐलान भी किया। दूसरी तरफ सत्ता पक्ष को घेरने विपक्ष ने बड़े मुद्दे उठाए। विपक्ष ने किसान, धान खरीदी, लॉ-एंड-ऑर्डर समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेरा। इस सत्र में 9 आशासकीय संकल्प भी आए, जिनमें से दो पर सदन में चर्चा हुई। कुल मिलाकर कब बैठकों वाले छोटे शीत सत्र में बड़े कुछ बड़े फैसले लिए गए। हालांकि, विपक्ष का खुला आरोप है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था समेत बड़े मुद्दे पर सदन में चर्चा से सरकार भागी है।
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