Chhattisgarh Top Leader Chalpati Encounter : रायपुर: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के कुल्हाड़ी घाट और भालूडीग्गी क्षेत्र में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच एक भीषण मुठभेड़ हुई। इसे नक्सल इतिहास की सबसे बड़ी मुठभेड़ों में से एक माना जा रहा है। इस मुठभेड़ में 27 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया गया, जिसमें से 16 के शव सुरक्षाबलों ने बरामद किए।
मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में शीर्ष नेता और सेंट्रल कमेटी के सदस्य चलपति भी शामिल था। चलपति पर सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। यह मुठभेड़ नक्सल विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस एनकाउंटर के बाद सभी माओवादियों के शव रायपुर लाए गए, जहां मेकाहारा अस्पताल में उनका पोस्टमार्टम किया गया। इन शवों में चलपति का भी शव शामिल था।
Chhattisgarh Top Leader Chalpati Encounter: चलपति का ससुर लक्ष्मण भी रायपुर पहुंचा, जिसने शव की पहचान की और मीडिया से बातचीत की। लक्ष्मण ने बताया कि उसकी बेटी और चलपति की पत्नी का शव बरामद नहीं हुआ है। उसे आशंका है कि उसकी बेटी अभी भी जंगल में हो सकती है। आईबीसी24 न्यूज चैनल से बातचीत में लक्ष्मण ने नक्सलवाद को गलत ठहराने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ आवाज उठाने वालों को मारा जाता है।” लक्ष्मण ने अपनी बेटी से मिलने की इच्छा भी जताई।
यह मुठभेड़ नक्सलवाद के खिलाफ राज्य और केंद्र सरकार की कड़ी कार्रवाई को दर्शाती है। हालांकि, इस घटना से माओवादियों के परिजनों और उनके विचारधारा से जुड़े मुद्दों पर भी बहस शुरू हो गई है। यह घटना सुरक्षा बलों की एक महत्वपूर्ण सफलता है और यह संकेत देती है कि नक्सलवाद के खिलाफ अभियान में सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सरकार को पूरा भरोसा है कि, अगले साल यानी 2026 के मार्च के अंत तक न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि समूचे देश से वामपंथ उग्रवाद को पूरी तरह ख़त्म कर दिया जाएगा।
Chhattisgarh Top Leader Chalpati Encounter : नक्सल नेता चलपति की कहानी एक ऐसा अध्याय है जो नक्सल आंदोलन के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। आंध्र प्रदेश के चिंत्तूर जिले के माटेमपल्ली गांव में जन्मे जयाराम, जिन्हें चलपति के नाम से जाना जाता है, ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही पूरी की। 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद, 1990 के दशक में उन्होंने माओवादी आंदोलन का हिस्सा बनने का निर्णय लिया। उनकी पढ़ाई-लिखाई और रणनीतिक समझ के कारण उन्हें सेंट्रल कमेटी का सदस्य बनाया गया।
साल 2000 के आसपास, चलपति ने नक्सली नेता अरुणा से विवाह किया। यह जोड़ी लगभग 16 वर्षों तक साथ रही। इस दौरान, उनके सरेंडर की कई खबरें सामने आईं। 2018 तक चलपति के सिर पर 20 लाख रुपये का इनाम था। लेकिन अगले 6 वर्षों में यह इनाम बढ़कर 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस दौरान, कई बार उनकी मौत की खबरें भी आईं, लेकिन हर बार वे इन अफवाहों को झुठलाते हुए बच निकलने में सफल रहे।
Chhattisgarh Top Leader Chalpati Encounter : हालांकि, इस बार 5 फोर्स के संयुक्त ऑपरेशन में चलपति फंस गया। उनकी मौत ने नक्सल आंदोलन को आंध्र प्रदेश और ओडिशा में एक निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया है। उनका अंत नक्सल आंदोलन की कमजोर होती स्थिति का प्रतीक बन गया है, और यह अब अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है।
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