रायपुर। CG Ki Baat: क्या प्रदेश की कानून-व्यवस्था ध्वस्त है, क्या मौजूदा दौर में पुलिसिंग में कोई बड़ी खामी है ? ये गंभीर सवाल उठाए हैं विपक्ष ने वजह है हाल ही प्रदेश में हुई बड़ी घटनाओं के साथ लगातार होती चोरी, लूट, चाकूबाजी और मर्डर की वारदातें ज्यादा दूर और पहले की वारदातों पर नहीं जाते। राजधानी रायपुर, न्यायधानी बिलासपुर, ऊर्जाधानी कोरबा या वनांचल बस्तर-सरगुजा प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा होगा जहां किसी ना किसी वारदात ने सनसनी ना फैलाई हो पर यहां सवाल केवल सनसनी का नहीं है। विपक्ष का आरोप है कि प्रदेश में जनता डरी हुई है जिसके खिलाफ वो अब न्याय यात्रा निकालेगी तो क्या वाकई प्रदेश का लॉ-एंड-ऑर्डर ध्वस्त हो गया है ? विपक्ष के आरोप कितने सही है ? सत्तापक्ष के तर्क कितने खरे हैं ? सबसे बड़ी बात क्या वाकई प्रदेश की जनता सुरक्षा को लेकर खौफ में है ?
प्रदेश की राजधानी हो, न्यायधानी हो, ऊर्जाधानी हो या फिर सुदूर बस्तर हर जगह हुई वारदात ने प्रदेश की पुलिसिंग पर सवाल उठाए। सोमवार तड़के रायपुर के तेलीबांधा तालाब पर तीन बदमाशों में सरेराह एक युवक को चाकू से गोद कर मौत के घाट उतार दिया। हफ्ते भर में शहर के सबसे सघन, सुरक्षित और पोश इलाके मरीन ड्राइव में मर्डर की ये दूसरी वारदात है। ऐसे ही बिलासुपर में चाकूबाजी तो अंबिकापुर में 9 दिनों से एक शव का अंतिम संस्कार रोके रखा गया है वजह मुख्य आरोपी पुलिस पकड़ से दूर है जबिक उनपर लाखों का इनाम तक घोषित किया हुआ है।
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विपक्ष इसे सीधे-सीधे सरकार का फेलुअर बताकर, गृहमंत्री का इस्तीफा मांग रहा है रोजाना होती घटनाओं से सबसे पहले उंगली उठी प्रदेश की पुलिसिंग पर सो रायपुर पुलिस और गृहमंत्री ने आंकड़ों के साथ ये जताया कि वारदातें बढ़ी जरूर हैं लेकिन पिछली सरकार के क्राइम रिकॉर्ड से तुलना करें तो स्थिति बेहतर ही नजर आती है। वहीं, बिगड़ती कानून व्यवस्था के तौर पर विपक्ष के पास सबसे बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस ने तय किया है कि 27 सितंबर से गुरु घासीदास की तपोभूमि गिरौदपुरी से रायपुर तक 125 कि.मी. की पदयात्रा निकलेगी। कांग्रेस इसे प्रदेश में बने अराजक माहौल की खिलाफत बताती है तो बीजेपी इसे कोरी सियासी नौटंकी करार देती है।
CG Ki Baat: मौजूदा सरकार आंकड़ों को सामने रखकर खुद को पिछली कांग्रेस सरकार की तुलना में बेहतर और कसी हुई कानून-व्यवस्था देने वाली सरकार बता रही है तो वहीं विपक्ष का खुला आरोप है कि ये बस आंकड़ों की बाजीगरी मात्र है। आंकड़ों से इतर सवाल ये है कि अगर प्रदेश में राजधानी, न्यायधानी में ही थानों से चंद कदमों की दूरी पर लोग सुरक्षित नहीं हैं तो क्या इसे बेहतर लॉ-एंड-आर्डर माना जाएगा ? राजधानी के पोश इलाके, कवर्ड कैंपस कॉलोनीज ही अगर सुरक्षित नहीं तो क्या इसे सुरक्षित कहा जाएगा ?
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