PM Awas Yojana: रायपुर। गरीब के सिर पर उसकी अपनी पक्की छत हो ये वादा चुनाव के वक्त हर दल ने किया और बार-बार किया। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी ये बड़ा मुद्दा बना। बीजेपी ने कांग्रेस को इस मुद्दे पर जमकर घेरा। बार-बार PM आवास योजना के लिए राज्यांश रोकने का आरोप लगाया और बीजेपी के सत्ता में लौटने पर त्वरित तौर पर गरीबों को पक्का मकान देने का वादा भी किया। अब केंद्र सरकार ने राज्य के लिए तकरीबन साढ़े आठ लाख आवास स्वीकृत किए , जिस पर प्रदेश की साय सरकार ने PM मोदी का आभार जताया।
कांग्रेस ने भी वादे का पूरा हिसाब जनता के बीच रखकर इसे गरीबों से छलावा बताया। हालांकि इस वार-पलटवार के दौर में नया कुछ नहीं है। सवाल ये है कि इस बार इस सियासी चैप्टर का विजेता कौन है और लूजर कौन, आखिर गरीबों के आवास पर इतनी सियासत क्यों ? छत्तीसगढ़ में गरीबों के आवास पर पक्ष-विपक्ष में घमासान छिड़ गया है। 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पिछली कांग्रेस सरकार को PM आवास की राशि जारी ना करने को लेकर जमकर घेरा, गरीबों की छत छीनने वाली पार्टी कहकर कांग्रेस को घेरा। साथ ही बीजेपी ने मोदी की गारंटी के तहत 18 लाख आवास स्वीकृति का वादा भी किया था।
अब जबकि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत छत्तीसगढ़ में 8 लाख 46 हजार 931 आवासों की स्वीकृति प्रदान की है तो प्रदेश के CM विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया साथ ही याद दिलाया कि पिछली भूपेश सरकार ने PM आवास योजना के लिए केवल इसीलिए राज्यांश यानि राज्य के हिस्से का पैसा नहीं दिया, क्योंकि योजना में प्रधानमंत्री का नाम जुड़ा था। लेकिन, अब बीजेपी सरकार पिछली कांग्रेस सरकार के वक्त लाई गई आवाज योजना में स्वीकृत पात्र 47 हजार 90 परिवारों के घर का निर्माण भी करवाएगी।
इधऱ, मुख्यमंत्री साय के वार पर PCC अध्यक्ष दीपक बैज ने तंज कसते हुआ कहा कि, विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वादा 18 लाख आवास स्वीकृति के बाद ही CM, सीएम हाउस जायेंगे। लेकिन, आवास के लिए फंड की स्वीकृति अब मिली है वो भी 8 लाख मकानों की। यानि कि वादे से 10 लाख, जबकि योजना की पहली किश्त के तौर पर भूपेश सरकार ने दिसंबर 2023 में ही 3200 करोड़ का प्रावधान कर दिया था।
कुल मिलाकर दोनों हो दलों ने गरीबों के आवास के नाम पर वादा निभाने और अधूरे वादे पर कटाक्ष कर जनता को यही बताते ही कोशिश की है कि, वो गरीबों के आवास को लेकर संजीदा हैं, जाहिर है आगे फिर चुनाव हैं, और अधूरे वायदे पार्टियों को जनता के दरबार में कटघऱे में खड़ा करने के लिए उठाए जाने तय है।