CG Teacher Latest News: रायपुर। देश-प्रदेश की तरक्की के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है एजुकेशन, शिक्षा और सही शिक्षा के लिए जरूरी हैं एक सही और सर्वसुविधायुक्त स्कूल। प्रदेश के बच्चों को शहर और गांव, निजी और सरकारी स्कूलों में समान स्तर की शिक्षा मिले इसके लिए हर सरकार संकल्पित है। दावा होता है इस दिशा में लगातार काम का फिर भी प्रदेश के हजारों स्कूल ऐसे हैं, जहां आज भी बच्चों को पढ़ाने एक भी टीचर नहीं हैं।
2024-25 के स्कूल शिक्षा सत्र में भी हम पहले दिन से आज तक कई बार देख और आपको दिखा चुके हैं, कि छात्र-छात्राओं और पालकों को सड़क पर उतरकर स्कूल में शिक्षकों की कमी पर प्रदर्शन करना पड़ता है। आज इसी मुद्दे पर सदन में सवाल उठा, जवाब भी आया पर क्या समाधान मिला? कौन जिम्मेदार है इस हाल का ? कब तक दूर होगी ये समस्या ? देखिए ये खास रिपोर्ट..
छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी गंभीर समस्या रही है। सोमवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के मॉनसून सत्र के प्रश्नकाल के दौरान टीचर्स की कमी का मुद्दा गूंजा। सवाल पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवाब देते हुआ कहा कि पूरे देश में प्रति 26 स्टूडेंट्स पर एक टीचर है। लेकिन, छत्तीसगढ़ में 21 स्टूडेंड्स के पीछे एक टीचर की व्यवस्था है। यानी देश में स्टूडेंट-टीचर रेशो से कहीं बेहतर स्थिति में प्रदेश है। बावजूद इसके प्रदेश में तकरीबन 300 स्कूल, शिक्षक विहीन हैं। ये ऐसे स्कूल हैं जहां एक भी टीचर नहीं है। जबकि, करीब 5 हजार स्कूल ऐसे हैं, जो महज एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।
सवाल पर उठी बहस के दौरान सीएम ने सदन को बताया कि, कुछ अव्यवस्थाओं के चलते ऐसे हालात बने हैं, जिसे दूर करने युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। ऐसे स्कूल जहां सरप्लस टीचर हैं, लंबे समय से जमें हैं, उन्हें बिना टीचर वाले स्कूलों में भेजेंगे। अगर फिर भी पद रिक्त रहे तो सरकार नई भर्ती के जरिए कमी को पूरा करेगी। चर्चा के दौरान भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा कि शहरों में ऐसे कितने स्कूल हैं, जहां टीचर सरप्लस हैं, जिसपर सीएम ने बताया कि इसका डेटा फिलहाल उपलब्ध नहीं है। इधर, शिक्षक विहीन स्कूल के हालात को बद्तर बताते हुए विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा।
प्रश्नकाल की बहस से फिर साफ हुआकि प्रदेश में शिक्षकों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में जमकर खेल होता है। पैसे, पद और पावर का इस्तेमाल कर हजारों शिक्षक, अपने-अपने शहरों के जमे हुए हैं, जिससे कुछ स्कूलों में सरप्लस टार्चस हैं। जबकि, सूदूर क्षेत्रों में कई ऐसे स्कूल हैं जहां अब भी एक भी टीचर नहीं हैं। दावा है कि जल्द ही युक्तियुक्तकरण से समाधान होगा सवाल है विभाग और सरकार की नीयत और फायनल नतीजे का।