CG Ki Baat: रायपुर। लॉ एंड ऑर्डर पर जोरदार सियासत जारी है। कांग्रेस जहां पदयात्रा के जरिए इसे हवा देने की फिराक में है। वहीं, बीजेपी कांग्रेसी दौर के अपराधों की फेहरिस्त लेकर बैठी है। मतलब ये कि मुद्दा प्रशासन का है पर बखेड़ा सियासी दल खड़ा किए हुए हैं। आरोपों का दौर चल पड़ा है, अब सवाल यही है कि क्या कानून व्यवस्था की नाकामी को आधार बनाकर कांग्रेस राज्य सरकार पर दबाव डालने में कामयाब रहेगी या फिर साय सरकार पलटवार से उसे लाजवाब कर देगी?
छत्तीसगढ़ में बढ़ती आपराधिक घटनाएं चिंता का सबब बनी हुई है। चोरी, लूट, हत्या, हत्या की कोशिश, चाकूबाजी की घटनाएं आम हैं। खासकर बड़े शहरों में आए दिन होती आपराधिक वारदातों ने लोगों को भयभीत कर दिया है। मामूली विवाद पर भी हत्याएं होने लगी हैं। यानि अपराधी बेखौफ नजर आते हैं, ये सीधे तौर पर पुलिस का नाकामी और अनदेखी का मामला है। इस पर अब सियासत भी तेज है। विपक्षी दल कांग्रेस आरोप लगा रही है कि, बीजेपी सत्ता के मद में चूर है और अपराध पर लगाम लगा पाने में नाकाम है।
इधर भाजपा नेता, कांग्रेस के शासन की याद दिला रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि भाजपा सरकार अपराध पर लगाम और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। जाहिर है अपराध और कानून व्यवस्था पर सियासी आरोप प्रत्यारोप ज्यादा हो रहा है। वहीं, अपराध के आंकड़े डराने वाले हैं। सिर्फ राजधानी रायपुर की है बात करें तो साल 2023 में फरवरी से अगस्त के बीच चाकूबाजी के कुल 133 मामले दर्ज हुए, जबकि इसी दरम्यान साल 2024 में कुल 79 मामले दर्ज किए गए हैं।
हत्या और हत्या के प्रयास की 2023 में कुल 93 वारदातें हुईं तो 2024 में 81 मामले दर्ज किए गए। यानि सरकार चाहे किसी की भी रही हो बढ़ते अपराध हमेशा शासन और प्रशासन के लिए चुनौती रहे हैं। अब सवाल ये है कि शहरों में बढ़ते अपराध पर कैसे अंकुश लगेगा? चाकूबाजों के बुलंद हौसले को कौन पस्त करेगा?
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