रायपुर। CG Ki Baat: बस्तर में नक्सल फ्रंट पर फोर्स लगातार कामयाब हो रही है, जिसका सबूत हैं जनवरी से अब तक मारे गए और हथियार डालने वाले नक्सलियों के आंकड़े। लेकिन इसी बीच एक बार फिर हाल ही में हुए एनकाउंटर को लेकर बवाल मचा हुआ है। कुछ दिनों पहले नारायणपुर जिले में हुई मुठभेड़ में 4 बच्चे क्रॉस फायरिंग में घायल हुए, इसी मुद्दे पर विपक्ष ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है। सरकार ने इस पर सफाई भी दी और दावा भी किया कि सबूत के साथ बात करें। सबको पता है कि बस्तर में प्रोपेगेंडा वॉर, नक्सली रणनीति का एक अहम हिस्सा है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या सिर्फ सियासत के लिए सवाल उठाना जायज है?
बीते दिनों देश के गृहमंत्री अमित शाह प्रदेश दौरे पर रहे। इस दौरान शाह का पूरा फोकस 2026 तक नक्सलवाद के सफाये के लिए अगली रणनीति पर रहा। ठीक उसी दौरान नारायणपुर-दंतेवाड़ा सीमा पर पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 7 नक्सलियों के ढेर होने की खबर आई। मारे गए सभी 7 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए। गुरूवार को प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ चरण दास महंत ने उसी मुठभेड़ में आम नागरिकों के मारे जाने का मुद्दा उठाया, गंभीर आरोप लगाया कि भरमार बंदूकें रखकर आम लोगों को नक्सली साबित किया जा रहा। महंत ने सरकार से पूछा कि प्रदेश पुलिस शस्त्रागार में कितने भरमार हैं ? सदन में सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि, नक्सली घटनाओं में आम नागरिको के मारे जाने की पूरी सूची दे दी गई है। मारे गए नक्सलियों से फिर से भरमार जब्त हुए हैं, गृहमंत्री ने कहा कि, ऐसे सवाल उठाकर विपक्ष नक्सल मोर्चे पर लड़ रहे जवानों का हौसला कम करने का काम करती है।
CG Ki Baat: इससे पहले भी PCC अध्यक्ष ने ‘ओरछा मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए, 4 निर्दोष बच्चों को गोली मारने का आरोप लगाया। इन आरोपों पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी तीखा पलटवार करते हुए कहा कि हमारी सरकार नक्सलवाद से मजबूती से लड़ रही है। वैसे विपक्ष का आरोप नया नहीं है। कांग्रेस बार-बार बीजेपी सरकार पर आरोप लगाती है कि पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में निर्दोष ग्रामीणों की मौत पर सरकार पर्दा डालती है, फर्जी मुठभेड़ कर नक्सल खात्मे का माहौल बनाती है। दूसरी तरफ सरकार का दावा है कि डबल इंजन सरकार 2026 तक नक्सलियों के सफाए पर मजबूती से आगे बढ़ी है, साल भर में 220 से ज्यादा नक्सली मारे गए, डेढ़ हजार से ज्यादा ने सरेंडर किया है, जिसकी मिसाल पूरे देश में दी जा रही है लेकिन विपक्ष अपनी सियासत चमकाने, बिना सुबूत आरोप लगाकर जवानों के साहस पर बार-बार सवाल उठती है, सवाल ये है कि सच क्या है ? विपक्ष के आरोप या सरकार के दावे ?
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