छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी CM TS सिंहदेव के इन्हीं दो बयानों से प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस संगठन में फेरबदल की अटकलें तेज हो गईं। दरअसल, 2023 फिर 2024 में कांग्रेस की सिलसिलेवार हार को लेकर कांग्रेस ने फैक्ट फाइंडिग कमेटी बनाई, बड़े नेताओं को रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी दी फिर बड़ा मंथन हुआ। दिल्ली में हार पर समीक्षा बैठक के दौरान वन टू वन चर्चा हुई, जिसमें प्रत्याशी चयन में गड़बड़ी, जातीय समीकरण ना साध पाने जैसे कारण गिनाए गए। साथ ही पिछली प्रदेश कांग्रेस सरकार के कुछ फैसलों पर लोगों की नाराजगी की बात भी सामने आई। इसके बाद पार्टी ने अब आगे की रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है।
सबसे बड़ी चर्चा इसी बात पर हुई कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के दौरान क्या पीसीसी की कमान दीपक बैज के पास रहेगी या किसी नए नेता को आगे किया जाएगा। बाताया जाता है कि कई वरिष्ठ नेता निकाय चुनाव तक PCC चीफ पद पर दीपक बैज के अध्यक्ष बने रहने के पक्ष में है तो एक दूसरा खेमा किसी नए आदिवासी चेहरे को पीसीसी चीफ की कमान सौंपने की वकालत कर रहा है। चर्चा इस बात की भी है कि बैलेंस बनाने के लिए कार्यकारी अध्यक्ष फॉर्मूले पर अमल हो सकता है। इसके अलावा पूर्व CM भूपेश बघेल को राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी दिए जाने की संभावनाएं भी जताई जा रही है। दिल्ली में मंथन और मीटिंग में शामिल होकर लौटे नेता भी संगठन में बदलाव को जरूरी बताते हैं, आगे बढ़ाने की दलील देते नजर आते हैं।
इधऱ, प्रदेश के विपक्षी दल के भीतर बदलाव की संभावनाओँ पर बीजेपी ने तंज कसा है। चुनाव में पार्टी की हार के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भीतर लगातार एक सवाल रहा है कि क्या जीत का सेहरा पहने वाले प्रदेश नेताओं को हार की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए…बदलाव के पीछे तर्क ये भी दिया गया कि पार्टी के भीतर नए नेताओं को अवसर देना चाहिए…अब पूर्व डिप्टी CM के बयान से फिर अटकलें तेज हैं कि जल्द ही पीसीसी को लेकर कुछ बड़े फैसले लिए जा सकते हैं…सवाल है कि क्या मंथन-मीटिंग्स के बीच स्टेट के बड़े नेताओं की नई भूमिका तय हो चुकी है ? क्या हालिया बयान नई भूमिका का संकेत माना जाए ?
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