भूपेश राज में खुशहाल किसान, न यूरिया के लिए हलाकान…न धान के बेचने के लिए परेशान

Bhupesh Sarkar is promoting urea fertilizer फसलों के लिए रासायनिक खादों को प्राप्त करने के लिए किसानों द्वारा रूचि भी दिखाई जा रही है।

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  • Publish Date - July 11, 2023 / 04:58 PM IST,
    Updated On - July 11, 2023 / 04:58 PM IST

Bhupesh Sarkar is promoting urea fertilizer : रायपुर। पूरे विश्व में जब भी खेती-किसानी की बात आती है, तो उसके साथ खाद का उपयोग भी एक बड़ी चुनौती या फिर यूं कहें कि हर साल एक समस्या के रूप में उभरकर सामने आती है। वहीं फसल की बुआई से पहले किसानों को खाद की चिंता सताने लगती है। दूसरी ओर किसानों को खाद की उचित मात्रा में आपूर्ति नहीं होती, जिस कारण सोसायटियों में हमेशा खाद की किल्लत बनी रहती है। ऐसे में हर साल एक बड़ा रकबा खाद की कमी से कम पैदावार कर पाता है। वहीं अब इस समस्या को दूर करने के लिए भूपेश सरकार रासायनिक खादों का उपयोग कर रही है, जिससे कम समय में किसानों को अपने फसलों से ज्यादा मुनाफा हो रहा है।

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छत्तीसगढ़ का ज्यादातर श्रम क्षेत्र कृषि के क्षेत्र में निर्भर है, जो अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान देता है। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए भूपेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के माध्यम से भविष्य में कृषि क्षेत्र की नई तकनीकों का विकास संभव है। किसान पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने प्रदेशवासियों के मेहनतकश किसानों, मजदूरों और गरीबों का मर्म समझकर जनसरोकार से जुड़े कई बड़े कदम उठाए हैं।

किसानों में बढ़ रहा रासायनिक खादों का रूझान

फसलों के लिए रासायनिक खादों को प्राप्त करने के लिए किसानों द्वारा रूचि भी दिखाई जा रही है। यदि कोरबा जिले की बात करें तो खरीफ वर्ष 2023 अंतर्गत कोरबा जिले में 10200 मीट्रिक टन रासायनिक खाद लक्ष्य के विरुद्ध 84 प्रतिशत खाद का भण्डारण 41 सहकारी समितियों में अब तक किया जा चुका है। साथ ही जिले में यूरिया दानेदार के वैकल्पिक रूप में नैनो यूरिया (लिक्विड) 5700 लीटर भण्डारित किया गया है। यूरिया दानेदार के वैकल्पिक रूप में उपलब्ध नैनो यूरिया (लिक्विड) के प्रति किसानों का रूझान बढ़ रही है।

समितियों में पर्याप्त मात्रा में सभी रासायनिक खाद उपलब्ध है, जिसका उठाव कृषकों द्वारा अपनी सुविधा एवं आवश्यकता अनुसार किया जा रहा है, जिन समितियों में यूरिया एवं अन्य खाद की कमी है उन समितियों में भंडारण हेतु आरओ/डीडी जारी करवाये जा रहे हैं। इससे पहले विगत वर्ष इसी समय तक 68 प्रतिशत खाद भण्डारित था, जबकि वर्तमान में लक्ष्य के विरूद्ध 84 प्रतिशत खाद का भण्डारण समितियों में अब तक किया जा चुका है। किसी कृषक को खाद नहीं मिलने जैसी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।

फसलों में यूरिया का उपयोग

छत्तीसगढ़ में पानी की उपलब्धता बेहतर होने के कारण किसान सालाना दो फसल लेते हैं। खरीफ में प्रमुख रूप से धान की खेती की जाती है। इसके लावा रबी में भी किसान धान की खेती करते है और जिन इलाकों में पानी की कमी है वहां दलहन तिलहन की फसल ली जाती है। फिलहाल छत्तीसगढ़ के किसानों की रबी की फसल बिना रसायनिक खाद के बर्बाद होने के कगार पर चली जाती है।

फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए किसान यूरिया का प्रयोग करते हैं। सफेद दाने के रूप में उपलब्ध यूरिया का आधे से कम हिस्सा पौधों को मिलता है। बाकी हिस्सा मिट्टी और हवा में चला जाता है। नैनो यूरिया को विभिन्न प्रकार के परीक्षण के बाद किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। धान, गेहूं, गन्ना, मक्का, सब्जी, मिलेट्स, चारे वाली फसल, दलहन-तिलहन सहित सभी फसलों पर अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं इसलिए यह सभी प्रकार कि फसल के लिए उपयुक्त है। आधा लीटर तरल यूरिया की बोतल एक एकड़ खेत के लिए काफी होता है। इसके प्रयोग से पर्यावरण, जल व मिट्टी का प्रदूषण नहीं होता। इसका अविष्कार दानेदार यूरिया की खामियों से जनमानस, फसल, मिट्टी व पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए किया गया है।

नैनो यूरिया किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प

भूपेश सरकार की पहल से दानेदार यूरिया पर निर्भर किसानों को नैनो यूरिया (तरल) के रूप में बेहतर विकल्प मिला है। इसके उपयोग से न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि, फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होगी। दानेदार यूरिया से नैनो यूरिया काफी सस्ती है एवं आय में भी वृद्धि हो रही है। 125 लीटर पानी में 1 बोतल नैनो यूरिया मिलाकर घोल बना कर एक फसल पर दो बार छिड़काव किया जाता है। पत्तियों के माध्यम से यह पौधों में प्रवेश कर उत्पादन व उत्पादकता दोनों बढ़ाता है। इसके महत्व को देखते हुए भूपेश सरकार इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक कर रही है। किसान इसका उपयोग करके अपनी उपज बढ़ाने के साथ-साथ ज़मीन की उर्वरा शक्ति को लम्बे समय के लिए अच्छा बनाए रख सकते हैं। नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्त्रोत है तथा यह बहुत कम समय में पारम्परिक यूरिया का सशक्त विकल्प बनकर उभरा है।

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यूरिया से फसलों का हो रहा संरक्षण

Bhupesh Sarkar is promoting urea fertilizer : सीएम भूपेश बघेल की विशेष पहल से किसान यूरिया का उपयोग बहुतायत रूप से कर रहे हैं। पौध संरक्षण रोगों और कीड़ों का अधिक होना आधुनिक और लगातार कृषि की देन है। लेकिन भूपेश सरकार का लक्ष्य फसलों को इनके द्वारा की जाने वाली हानि से बचाना है न कि नष्ट करना। कीट व रोगनाशक रसायनिक खादों जैसे यूरिया हो या नैनो यूरिया का असर सिर्फ नुकसान करने वाले कीड़ों व रोगों पर न होकर लाभ पहुँचाने वाले कीड़ों व रोगों पर भी होता है। इनके नियंत्रण के लिए स्वच्छ कृषि, परजीवी व शिकारी कीड़ों व कीड़ों को हानि पहुँचाने वाले कवकों (फफूँदों) व वायरस का प्रयोग असरकारक पाया गया है। इनके अलावा नीम, करंज, हींग, लहसुन, अल्कोहल आदि के उपयोग, अंतरवर्ती फसल, प्रपंची फसल फेरोमेन, ट्रेप, प्रकाश प्रपंच आदि साधनों के उपयोग से रसायनों के उपयोग पर खर्च होने वाली राशि की बचत की गई है। कीटनाशी रसायन खाद को अंतिम विकल्प के रूप में काम में लाया जा रहा है।

यूरिया खाद के फायदे

इसके उपयोग से पौधों को जरूरी पोषक तत्व प्राप्त हो जाता है।
इसको डालने से पौधों में पोषक तत्व की कमी पूरी होती है क्योंकि यूरिया खाद नाइट्रोजन की पूर्ति करता है।
इस उर्वरक के उचित मात्रा में प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है जिससे पैदावार में भी वृद्धि होने लगती है।
जो व्यक्ति गार्डनिंग के शौकीन होते हैं उसके लिए भी यूरिया खाद काफी फायदेमंद होता है क्योंकि पौधों में इसके उपयोग से पौधों की वृद्धि तेजी से होने लगती है।

 

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