रायपुर । छत्तीसगढ़ में कभी खबरों का सेंटर प्वाइंट रहने वाले नक्सली एक बार फिर चर्चा का केंद्र बनने लगे हैं। चुनावी साल में लगातार हिंसक वारदातों से लाल आतंक के मंसूबों पर सियासी बहस छिड़ गई है। नक्सलियों की अचानक बढ़ी सक्रियता के मायने क्या हैं और नक्सल समस्या के खत्म होने के दावों के उलट उनकी धमक क्या कह रही है… इन तमाम मुद्दों पर चर्चा के लिए हमारे साथ जुड़ रहे हैं 3 खास मेहमान, बीजेपी विधायक डॉ कृष्णमूर्ति बांधी, कांग्रेस विधायक शिशुपाल सोरी और वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता।
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छत्तीसगढ़ में फिर लाल आतंक पैर पसारने लगा है। बस्तर में इसी महीने बीजेपी की 3 नेताओं की हत्या के बाद अब राजनांदगांव में 2 और दंतेवाड़ा में एक जवान को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया। सीएम भूपेश बघेल ने इस घटना पर ट्वीट कर दुख जताया है। इधर, अपने 3 नेताओं को खोने के बाद सुरक्षा पर सवाल उठा रही बीजेपी ने एक बार फिर नक्सल मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। इधर, कांग्रेस इन आरोपों को खारिज कर रही है। कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि नक्सली लगातार पीछे धकेले जा रहे हैं।
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इसी बौखलाहट की वजह से कायराना हरकत को अंजाम दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में एक लंबे अरसे तक खामोश रहने के बाद नक्सली अचानक सक्रिय हो गए हैं। राजनीति और नक्सलियों के गठजोड़ के आरोप पहले भी लगते रहे हैं.. चुनाव के ऐन पहले नक्सलियों की धमक से एक बार फिर सियासी चर्चा जोड़ पकड़ने लगी है।
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