रायगढ़। मेडिकल कालेज हॉस्पिटल को नए भवन में शिफ्ट हुए आठ महीने होने को आए लेकिन हॉस्पिटल की व्यवस्था अब तक पटरी पर नहीं आ पा रही है। मेडिकल कालेज हास्पिटल की बिल्डिंग तो पूरी तरह तैयार है, लेकिन स्वीकृत सेटअप के अनुरुप भर्तियां नहीं हो पा रही हैं। अधिकारी आरक्षण रोस्टर की वजह से भर्ती में दिक्कतों की बात कह पल्ला झाड़ रहे हैं। इधऱ डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की भर्ती न होने से आम नागरिकों को दिक्कतें हो रही हैं।
आठ महीने पहले नए भवन में किया था शिफ्ट
दरअसल, रायगढ़ मेडिकल कालेज हॉस्पिटल को तकरीबन आठ महीने पहले नए भवन में शिफ्ट किया गया है। हॉस्पिटल के टॉप फ्लोर में आपरेशन थिएटर, आईसीयू और सर्जरी वार्ड का निर्माण कर पीडब्लूडी ने हास्पिटल प्रबंधन को हैंड ओवर भी कर दिया है। हास्पिटल के लिए सारे जरुरी इक्यूपमेंट और सुविधाएं भी बिल्डिंग में मुहैया कराई जा चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद हॉस्पिटल में स्वीकृत बेड की तुलना में महज 30 से 40 फीसदी मरीजों की भर्तियां ही ली जा रही हैं। मेडिकल कालेज प्रबंधऩ हास्पिटल में तकनीकी स्टाफ की कमी का हवाला दे रहा है।
300 नर्सिंग स्टाफ की जरुरत
हास्पिटल में स्वीकृत सेटअप के मुताबिक 300 नर्सिंग स्टाफ की जरुरत है, जबकि इसके एवज में 100 नर्स की नियुक्ति ही हो पाई है। तृतीय श्रेणी के 112 और चतुर्थ श्रेणी के 184 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इधर डाक्टरों के भी तकरीबन 70 पदों पर भर्तियां नहीं हो पाई हैं। आलम ये है कि डाक्टरों व नर्सिंग स्टाफ की कमी के चलते बर्न वार्ड में क्षमता के अनुरुप महज 10 फीसदी मरीजों की भर्तियां ही हो पा रही हैं। सात आपरेशन थिएटरों में से सिर्फ दो पर ही आपरेशन्स हो पा रहे हैं। डायलिसिस यूनिट भी डाक्टर्स न होने के कारण शुरु नहीं हो पा रही है। ऐसे में अव्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा का कहना है कि राज्य शासन भर्ती को लेकर गंभीर नहीं है जिसकी वजह से आम नागरिकों को असुविधा हो रही है।
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