रायपुर: public will trust Congress’s promises छत्तीसगढ़ में 15 निकायों में हो रहे चुनाव के लिए दोनों ही प्रमुख दलों में हलचल तेज हैं। प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए अब घोषणापत्र बनाम आरोप पत्र को लेकर बहस छिड़ गई है। दरअसल,कांग्रेस पार्टी ने निकाय चुनाव में 30 बिंदुओं वाला घोषणापत्र जारी कर जीत का दावा किया, तो भाजपा, निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी के अधूरे वायदों को लेकर एक आरोप पत्र लाने की तैयारी में है। भाजपा के आरोप पत्र लाने के सवाल पर कांग्रेस ने तंज कसते हुए जमकर पलवार किया है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को विपक्ष में बैठना है इसीलिए वो केवल आरोप पत्र ला रही है। सवाल ये कि भाजपा के आरोप पत्र में क्या होगा और इससे जनता कितना जुड़ पाएगी?
public will trust Congress’s promises प्रदेश में 15 निकायों के लिए 20 दिसंबर को वोटिंग है, जिसके लिए शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया। इस पर भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पहले ही ये संकेत दिया था कि निकाय चुनाव के लिए भाजपा प्रदेश कांग्रेस सरकार के खिलाफ एक आरोप पत्र लाएगी। सवाल उठा कि क्या भाजपा इस चुनाव में केवल कांग्रेस पार्टी की प्रदेश सरकार की खामियों और अधूरे वायदों के आधार पर ही वोट मांगेगी। क्या निकायों के विकास के लिए उसका अपना कोई विजन, कोई योजना कोई घोषणा पत्र नहीं होगा? इस सवाल पर भाजपा नेताओं का कहना है कि वो निकायवार अलग से स्थानीय मुद्दों के आधार पर घोषणापत्र लाएंगे, लेकिन उनका फोकस कांग्रेस के अधूरे वायदों पर ही रहेगा।
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इधर, कांग्रेस पार्टी ने पहले ही 30 बिंदुओं वाले चुनावी घोषणापत्र में निकायों के विस्तार और विकास के लिए राज्य की विभिन्न योजनाओँ के आधार पर जनता से वायदे किए हैं। भाजपा के आरोप पत्र लाये जाने की बात पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा को पता है कि उसे एक भी निकाय में जीत नहीं मिलेगी, वो विपक्ष में रहकर कुछ काम नहीं पाएंगे इसीलिए केवल आरोप पत्र ला रहे हैं।
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20 तरीख को वोटिंग है, जिसके लिए कांग्रेस पार्टी अपना चुनावी घोषणापत्र भी जारी कर चुकी है और जमीनी स्तर पर विधायकों को जिम्मेदारी देकर ताबड़तोड़ प्रचार में जुटी है। जबकि भाजपा को आरोप पत्र के सहारे जनता का साथ मिलने की उम्मीद है। लेकिन ये आरोप पत्र और निकाय वार घोषणा पत्र पार्टी कब जारी करेगी। इसका कोई ठोस जवाब किसी के पास नहीं है। देखना ये है कि निकाय चुनाव में जनता को कांग्रेस के वादों पर भरोसा होता है या भाजपा के आरोपों पर?