Politics heated up once again on the issue of Naxalism in Chhattisgarh

#SarkarOnIBC24 : सियासत के अखाड़े में ‘नक्सलवाद’, क्या इस विषय पर पक्ष और विपक्ष एक पिच पर नहीं आ सकते? देखिए ये वीडियों

सियासत के अखाड़े में 'नक्सलवाद', क्या इस विषय पर पक्ष और विपक्ष एक पिच पर नहीं आ सकते?Politics heated up once again on the issue of Naxalism in Chhattisgarh

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Modified Date: May 23, 2024 / 12:35 AM IST
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Published Date: May 23, 2024 12:35 am IST

रायपुरः Politics heated up on Naxalism छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के मुद्दे पर सियासी बयानबाजियों का सिलसिला कोई नया नहीं है। भाजपा प्रदेश में नक्सलियों के सफाए का दावा कर रही है तो कांग्रेस उसके दावों पर सवाल उठा रही है। इस बीच सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि नक्सल उन्मूलन में सबसे बड़ा रोड़ा विपक्ष है। सीएम के बयान पर विपक्ष भी मुखर है।

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Politics heated up on Naxalism नक्सल मोर्चे पर साय सरकार की रणनीति क्या रहने वाली है। डिप्टी सीएम विजय शर्मा कई मौकों पर साफ कर चुके हैं यानी बीजेपी सरकार नक्सलवाद को खत्म करने नक्सलियों से वार्ता के लिए तैयार है। उनका ये भी मानना है कि मुठभेड़ नक्सलवाद का समाधान नहीं है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी कह चुके हैं कि या तो नक्सली बातचीत को सामने आएं या सरेंडर कर दें वर्ना फोर्सेज नक्सली मांद में एक्शन को तैयार है। नक्सल मोर्चे पर एक्शन लगातार नजर भी आ रहे हैं। इस बीच अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि नक्सलवाद के सफाए में विपक्ष को सबसे बड़ी बाधा बताया है।
सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के छोटे से हिस्से में सिमटी नक्सल समस्या से हमारी डबल इंजन सरकार मजबूती से लड़ रही है और हम इसके विरुद्ध लड़ाई में कामयाब होंगे। आने वाले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ को नक्सल समस्या से पूरी तरह मुक्त कराना हमारा लक्ष्य है, जो अवश्य पूरा होगा, लेकिन ये दुर्भाग्यजनक है कि विपक्ष नक्सल उन्मूलन की राह में रोड़ा बनकर खड़ा हो जाता है। कई बार वही चाहता है, जो नक्सली चाहते हैं।

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सीएम के बयान पर अब बीजेपी कांग्रेस आमने-सामने हैं। बीजेपी जहां अपने मुख्यमंत्री के बयान का समर्थन कर रही है तो कांग्रेस साय सरकार की नक्सल नीति पर ही सवाल उठा रहा। तो नक्सलवाद के मुद्दे पर प्रदेश की सियासत एक बार फिर उफान पर है। फेक एनकाउंटर से शुरू हई लड़ाई नक्सल उन्मलून और उसमें रोड़ा कौन इस पर आ गई है। नक्सलवाद जैसे संवेदनशील मुद्दे पर ब्लेम गेम की सियासत कितना सही है? क्या इस विषय पर पक्ष और विपक्ष एक पिच पर नहीं आ सकते? ये बड़ा सवाल है।

 
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