रिपोर्ट- राजेश राज, रायपुर: innocent tribals believe छत्तीसगढ़ की सत्ता तक जाने का रास्ता बस्तर से होकर जाता है, जिसने बस्तर को नहीं साधा, वो सत्ता तक नहीं पहुंच सकेगा। शायद यही वजह है कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपना पूरा जोर बस्तर पर लगा दिया है। बीजेपी प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ताबड़तोड़ बस्तर दौरा कर संगठन और कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने में लगी हैं, तो सरकार एक के बाद एक विकास योजनाओं और घोषणाओं के जरिए बस्तर को साधने में जुटी है। सवाल है, बस्तर के लोग किसकी सुनेंगे?
innocent tribals believe ‘जिसने बस्तर साध लिया, उसने सत्ता साध लिया’ जी हां बस्तर को छत्तीसगढ़ की सत्ता का चाबी माना जाता है। इस चाबी को हासिल करने सियासी कसरत शुरू हो चुकी है। उसी कवायद के तहत बीजेपी के लिए डी पुरंदेश्वरी लगातार एक्शन में हैं। ताबड़तोड़ दौरा कर डेढ़ महीने के भीतर बस्तर की सभी 12 सीटों में बैठक ले चुकीं हैं। प्रदेश प्रभारी सीधे-सीधे कार्यकर्ताओँ से 2018 में हार की वजह और 2023 में जीत का रास्ता पूछ रही है। प्रदेश प्रभारी के आक्रामक तेवर और दौरे का ही नतीजा है कि बस्तर में रोजाना बीजेपी नेताओं के प्रेस कांफ्रेस और प्रदर्शन हो रहे हैं।
Read More: तीन नकाबपोश लुटेरों ने हथियार के दम पर लूट लिया बैंक, 18 लाख रुपये लेकर फरार
हालांकि एक दिन पहले बस्तर के बीजेपी नेताओं का दिल्ली दौरा सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना, कांग्रेस ने भी दौरे को लेकर कई सवाल उठाए। दूसरी ओर कांग्रेस इस दौड़ में पीछे नहीं है। बस्तर को साधने के सरकार की ओर से विकास कार्यों की सौगातें दी जा रही है। इसी कड़ी में दो दिवसीय जगदलपुर दौरे पर गए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर को फिर करोड़ों की सौगात दी।
Read More: छत्तीसगढ़ में भाजपा को लगा तगड़ा झटका, 300 से अधिक कार्यकर्ताओं ने थामा कांग्रेस का दामन
बहरहाल डेढ़ साल बाद चुनाव होने हैं, जिसके के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने कमर कस ली है। एक के पास कार्यकर्ताओं को एकजुट कर सरकार की नाकामी गिनाने की रणनीति है, तो दूसरे के पास पिछली सरकार की नाकामी और विकास की सौगात देने की शक्ति। ऐसे में आम बस्तरिया और भोलेभाले आदिवासी किस पर विश्वास करते हैं? ये बड़ा सवाल है।
Read More: नवरात्रि पर मीट शॉप बंद करने का आदेश 12 घंटे में वापस, यहां के मेयर ने दी ये दलील