रायपुर: सियासत में मैथमेटिक्स और कैमिस्ट्री के संतुलन से जीत का फार्मूला तय होता है, चुनाव कोई भी हो। अलग-अलग समाज और वर्गों को जिसने साध लिया जीत उसे ही मिलती है और इसी सियासी गणित को देखते हुए छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल 2023 में पिछड़ा कार्ड खेलने की तैयारी में हैं। बीजेपी जहां ओबीसी बिल को लेकर श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी ओर सत्ता में बैठी कांग्रेस भी इस आबादी को अपने पक्ष में करने के लिए कवायद में जुटी है। अब सवाल ये है कि क्या 2023 का चुनाव पिछड़ा कार्ड के बूते पार लगेगा ? मौजूदा दौर में OBC वर्ग को साधने में किस दल के पास बढ़त है?
छत्तीसगढ़ की सत्ता से बेदखल हुई बीजेपी एक बार फिर अपनी सियासी जमीन तलाशने की कोशिश कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित हार के बाद पार्टी एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग को साधने की जुगत में है। खास तौर ओबीसी वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी अभी से फोकस कर रही है। सदन में ओबीसी बिल पास होने के बाद बीजेपी नेता इस बात का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछड़ा वर्ग का सच्चा हितैषी केवल बीजेपी ही है। इसी बीच बीजेपी ओबीसी मोर्चा की पहली कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने रायपुर पहुंचे ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ के लक्ष्मण ने कहा कि कांग्रेस पिछड़े वर्ग को अब तक वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते आई है। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस की इस नियत को जनता के सामने लाने प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन और आंदोलन करेगी बीजेपी ओबीसी मोर्चा।
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इससे पहले भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में 27% आरक्षण की मांग का राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया। इधर बीजेपी के आरोपों पर संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने पलटवार करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी OBC वर्ग के लिए केवल लोक लुभावन बातें ही करती है। जबकि कांग्रेस सरकार लगातार ओबीसी वर्ग के विकास के लिए काम कर रही है।
बहरहाल छत्तीसगढ़ में ओबीसी की वास्तविक संख्या कितनी है इसका पक्का जवाब तो किसी के पास नहीं है। लेकिन जानकार मानते हैं कि इसी वोटबैंक के दमपर बीजेपी यहां लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव अपने नाम करती रही। पिछले चुनाव में बीजेपी के इस वोटबैंक में सेंध लगाकर कांग्रेस ने 15 साल का वनवास खत्म किया। प्रदेश में फिलहाल कांग्रेस के 17 और बीजेपी के 4 विधायक ओबीसी वर्ग के हैं।
कुल मिलाकर सवाल ये उठता है कि क्या इस बार सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी भी ओबीसी नेता को ही सीएम उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करेगी? 2023 में ओबीसी वर्ग किसका साथ देता है? इन सवालों का जवाब तो भविष्य के गर्त में है लेकिन ये तय है कि ओबीसी वोटर्स जिसके साथ होगा छत्तीसगढ़ में वहीं राज करेगा?
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