Naxal issue in Chhattisgarh : Opposition counterattack on claims of CG govt

सिमटी सरहद.. पर खात्मा कब? आखिर छत्तीसगढ़ को कब मिलेगी नक्सलियों से मुक्ति

आखिर छत्तीसगढ़ को कब मिलेगी नक्सलियों से मुक्तिः Naxal issue in Chhattisgarh : Opposition counterattack on claims of CG govt

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:49 PM IST
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Published Date: June 24, 2022 1:40 am IST

Naxal issue in Chhattisgarh  (रिपोर्टः राजेश राज) रायपुरः पिछले कई दशकों से छत्तीसगढ़ की पहचान घोर नक्सल प्रभावित राज्यों के रूप में होती थी। जहां हर साल नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम देते, जिसमें दर्जनों जवान शहीद होते। किसी राजनीतिक दल पर सबसे बड़े नक्सली हमले की वारदात भी यहीं हुई, जब झीरम घाटी में नक्सलियों ने एक साथ 30 से ज्यादा जनप्रतिनिधियों की हत्या कर दी, लेकिन अब कांग्रेस सरकार का दावा है कि नक्सली प्रदेश के सिर्फ दो ब्लॉक में सिमट कर रह गए हैं। बहुत जल्द प्रदेश नक्सलमुक्त राज्य भी होगा। इधर विपक्ष दावों को झुठलाते हुए कई सवाल उठा रहा है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

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Naxal issue in Chhattisgarh  राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे का दावा है कि प्रदेश में नक्सली सिर्फ एक कोने में सिमटकर रह गए हैं। कभी पूरे बस्तर में हिंसा का तांडव मचाने वाले नक्सली अब अपना वर्चस्व बचाने के लिए आखिरी लड़ाई लड़ रहे हैं। रविंद्र चौबे ने इसका श्रेय भूपेश सरकार की नक्सल नीति को दिया है। केवल रविंद्र चौबे ही नहीं बल्कि सत्तापक्ष के कई नेता इस बात कहते आए हैं कि कांग्रेस की सरकार आने के बाद प्रदेश में लाल गैंग का दायरा सिमटा है। वैसे देखा जाए तो 2018 में सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सल मोर्चे पर विकास, विश्वास और सुरक्षा का नारा देकर काम शुरू किया। पिछले तीन सालों में 7 नक्सल प्रभावित जिलों में 42 नए सुरक्षा कैंप खोले गए। नक्सलियों के दबाव में इन कैंपों का विरोध भी हुआ। लेकिन सरकार ने सूझबूझ दिखाते हुए इससे निपटा। इसके अलावा लोन वर्राटू अभियान के तहत बड़ी संख्या में नक्सलियों ने सरेंडर किया।

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नक्सलिलों के सिमटने के पीछे सत्तापक्ष के नेता सरकार की बेहतर नक्सल नीति को वजह बता रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्ष इन दावों पर सवाल खड़ा कर रहा है। बहरहाल पिछले तीन सालों में नक्सल फ्रंट पर तस्वीर तेजी से बदली है। सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर की घटना को छोड़ दिया जाए तो इस साल अब तक एक भी बड़ी वारदात नक्सली नहीं कर सकें हैं। उल्टे सुरक्षा बलों ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर कर कई नक्सली मार गिराए। सुरक्षा बलों का हौसला इतना ऊंचा है कि बारिश में भी जंगल में घुस कर मानसून ऑपरेशन शुरू कर दिया है।

 

 

 
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