नारायणपुर: Will Get Padma Shri Pandi Ram Mandavi नक्सल प्रभावित इलाके के छोटे से गांव से निकलकर अपनी कला के माध्यम से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत में बस्तर की पहचान बनाने वाले पंडीराम जी को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किया है। यह सम्मान न केवल उनकी कला के लिए है, बल्कि उनके धैर्य, संघर्ष, और बस्तर की संस्कृति को जीवित रखने के उनके प्रयासों को भी मान्यता देता है। 12 साल की उम्र में कला के सफर की शुरुआत करने वाले पंडीराम जी ने लकड़ी की नक्काशी और बांस की बांसुरी जैसी अद्भुत कलाओं को नई पहचान दी। बीते 5 दशकों से वह न केवल इन पारंपरिक कलाओं को संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके काम ने बस्तर की कला को एक वैश्विक मंच दिया है।
Will Get Padma Shri Pandi Ram Mandavi पंडीराम मण्डावी की कला केवल शिल्प तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बस्तर के जंगलों, इसकी संस्कृति, और संघर्षों की आवाज भी है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जीवन की कठिनाइयों के बीच पंडीराम जी ने अपने सपनों को मरने नहीं दिया और बस्तर की मिट्टी से जुड़े रहने का जो प्रण लिया, वह आज एक मिसाल बन गया है।आज, पंडीराम जी का यह सफर हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो कठिनाइयों के बीच अपनी पहचान बनाना चाहता है। उनके इस सम्मान के जरिए यह साबित होता है कि अगर जज्बा हो तो हर सपना साकार हो सकता है।
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