रायपुर: भाजपा और फिर कांग्रेस दोनों दलों से अपना रिश्ता तोड़ चुके पूर्व सांसद नंदकुमार साय ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जन्म जयंती पर याद किया है। नंदकुमार साय ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अपना प्रेरणापुंज भी बताया है।
नंदकुमार साय ने ‘एक्स’ अकाउंट पर लिखा है “राजनीति के शिखर पुरुष, पूर्व प्रधानमंत्री, ‘भारत रत्न’ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर उन्हें मेरा कोटि-कोटि प्रणाम। मेरे प्रेरणापुंज अटल जी के सिद्धांत, वैचारिक दृष्टिकोण और राष्ट्रोत्थान के प्रति उनकी कर्मशीलता युगों-युगों तक मानव समाज को कर्तव्य का पाठ पढ़ाती रहेगी।”
राजनीति के शिखर पुरुष, पूर्व प्रधानमंत्री, ‘भारत रत्न’ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर उन्हें मेरा कोटि-कोटि प्रणाम। मेरे प्रेरणापुंज अटल जी के सिद्धांत, वैचारिक दृष्टिकोण और राष्ट्रोत्थान के प्रति उनकी कर्मशीलता युगों-युगों तक मानव समाज को कर्तव्य का पाठ पढ़ाती रहेगी। pic.twitter.com/Sa7pO6ImKv
— Dr Nand Kumar Sai (@nandksai) December 25, 2023
गौरतलब है कि 1 मई को नंदकुमार साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी। इस दौरान नंदकुमार साय ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे लोगों के साथ रहा हूं। अटल बिहारी वाजपेई को फॉलो करता था। अटल आडवाणी के दौर की को बीजेपी थी, वो पार्टी अब उस रूप में नहीं है। परिस्थितियां बदल चुकी है। भूपेश सरकार मैंने स्टडी की है, छत्तीसगढ़ में छोटे गांव और कस्बे अब शहर बन गए है। मैं आज की तारीख में बीजेपी के किसी के पद पर नहीं था, मैं एक सामान्य कार्यकर्ता था।
नंदकुमार साय के इस्तीफे की जो वजहें सामने निकलकर आ रही है उसके मुताबिक़ नंदकुमार साय इस बार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। संभवतः उन्होंने जशपुर के सीट से अपनी दावेदारी भी पेश की थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उन्हें कैबिनेट के दर्जे से ही खुश रखने की कोशिश की गई। वही कांग्रेस के पक्ष में सभी को सरकार के रिपीट होने की उम्मीद थी लिहाजा नंदकुमार भी मन मसोसकर कांग्रेस के साथ बने रहे। लेकिन चुनावी परिणाम के बाद उन्होंने तय कर लिया था कि वह अब नहीं ठहरेंगे। और ऐसा हुआ भी। प्रदेश में नई सरकार के गठन के हफ्ते भर बाद ही उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया। हैरानी की बात यह रही कि उनके इस्तीफे की भनक किसी को नहीं लगी। खुद पीसीसी संगठन के लोगों को भी यह नहीं मालूम था कि साय रवानगी की योजना बना चुके है। पिछली बार जब उन्होंने भाजपा छोड़ा था तब भी इसी तरह से अचानक उनका इस्तीफा सामने आया था। तब वे पार्टी से नाराज जरूर चल रहे थे लेकिन पार्टी छोड़ देने की बात किसी को नहीं मालूम थी। तब उन्होने भाजपा नेतृत्व पर हमला बोला था लेकिन कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने से पहले और बाद अबतक उन्होंने किसी तरह का विरोधी बयान नहीं दिया है।