रायपुर: ‘Menopause’ hinders women’s success मेनोपॉज सोसायटी रायपुर चैप्टर दो दिवसीय आईएमएस जोनल कॉन्फ्रेंस और रायपुर मेनोपॉज सोसायटी की चौथी स्टेट कॉन्फ्रेंस का आयोजन ” प्रिवेंटिव एंड थेरप्यूटिक स्ट्रेटेजीज फॉर हेल्दी एजिंग” विषय पर किया जा रहा है। इसमें 150 से अधिक डॉक्टर्स और 20 से अधिक विशेषज्ञों देश के विभिन्न हिस्सों से इस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए आएं है। संरक्षक डॉ. आभा सिंह, आयोजन अध्यक्ष डॉ. मनोज चेलानी, आईएमएस अध्यक्ष डॉ सी अंबुजा, आईएमएस सचिव डॉ. सुधा शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ. पुष्पा सेठी, पूर्व अध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल ने मोनोपॉज जैसे बेहद कम चर्चित विषय के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कड़ी मेहनत की।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
‘Menopause’ hinders women’s success सम्मेलन के के दौरान युवा डॉक्टरों को संबोधित करते हुए आयोजन अध्यक्ष डॉ. मनोज चेलानी ने कहा, “कार्यस्थल पर वैश्विक लिंग असमानता में योगदान देने वाले कई कारण हैं। इनमें से एक कारण जिसे अक्सर पहचाना नहीं जाता है और वह है मोनोपॉज। कई महिलाएं अपनी 40 और 50 की उम्र के मध्य सीनियर लीडरशिप पोजिशन तक पहुंच जाती है। सीईओ बनने की औसत आयु भी इसी के आस-पास मानी जाती है। पेरी-मेनोपॉज भी आमतौर पर 45 से 55 साल की उम्र के बीच होता है। इसी उम्र के साथ मेनोपॉज के लक्षण दिखाई देना शुरू हो जाती है और किसी किसी केस में यह 10 साल तक भी रहते हैं। जैसे ही महिला इस उम्र में आकर कोई बड़ा पद संभालती है, अपनी उच्चतम क्षमता का प्रयोग करना चाहती है, उसका शरीर उसे धोखा देना शुरू कर देता है। मेनोपॉज एक बड़ी बात है। इसके लक्षण शारीरिक हो सकते हैं जिनमें -गर्म महसूस करना, जोड़ों का दर्द, मूत्र असंयम और हैवी पीरियड आदि शामिल होते हैं। वहीं मोनोपॉज का असर मानसिक तौर पर भी होता है, जिसके फलस्वरूप चिंता, अवसाद, कम आत्मविश्वास के लक्षण, सोने में कठिनाई आदि शामिल है। लक्ष्णों की सूची लंबी है और ये बदल भी सकते हैं, लेकिन ये बेहद महत्वपूर्ण हैं।”
संरक्षक डॉ. आभा सिंह ने बताया कि “पांच देशों की महिलाओं के बीच हुए के एक अध्ययन में यह पाया गया कि मेनोपॉज के लक्षणों से निपटने वाली 60 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि इससे उनका काम प्रभावित हुआ है। ब्रिटेन में एक अन्य अध्ययन में 30 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे अपने लक्षणों के कारण काम से चूक गईं। यहीं तक नहीं कुछ महिलाओं को मेनोपॉज के कारण अपने करिअर से जुड़ा बड़ा फैसला लेना पड़ गया। 8 प्रतिशत महिलाओं ने माना मेनोपॉज के सिम्पटम्स के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। महिलाओं के रजोनिवृत्ति के लक्षणों के कारण पदों से इस्तीफा दे दिया। महिलाओं ने बताया कि जब वे अपनी आंतरिक भावनाओं को प्रकट करती हैं, तो उनका शरीर और दिमाग बार -बार बदलता रहता है। इस वजह से मेनोपॉज का पर्सनल और प्रोफेशनल दोनो लाइफ पर फर्क पड़ता है।
Read More: Gold Price Weekly: हफ्ते भर में 1000 से ज्यादा नीचे गिरा सोना, जानिए आज कितना है भाव
कॉन्फ्रेंस न के दौरान, डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर बदलाव लाने और जब तक वह चाहे तब तक काम करने देने के लिए मेनोपॉज केयर में सुधार करना होगा। मेनोपॉज के लक्षणों का सामना कर रही महिला के अनुभव को बेहतर बनाने में कार्यस्थल एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। यह अटपटा लग सकता है लेकिन यह जागरूकता से शुरू होता है, जिसका अर्थ है हमारे कार्यालयों के भौतिक ढांचे को बदलना होगा, वर्क कल्चर और उससे जुड़ी अपेक्षाओं को रीसेट करना होगा और स्वास्थ्य देखभाल नीतियों को अपडेट करना होगा।
जागरूकता बढ़ाने का एक तरीका यह है कि इससे जुड़ी चर्चा को सीधे कार्यस्थल पर ही किया जाए। कई कंपनियां पहले से ही डाइवर्सिटी, एंटी हरासमेंट, मानसिक स्वास्थ्य, पैरेंटल लीव आदि विषयों पर ट्रेनिंग प्रोग्राम और सेमिनार का आयोजन करती है। हमें मेनोपॉज से जुड़ी बातचीत को भी सामान्य बनाना है। सभी जेंडर और सभी उम्र के लोगों को यह समझने के लिए आमंत्रित करता है कि उम्र बढ़ने की इस प्राकृतिक प्रक्रिया में क्या क्या होता है, ताकि वे सीख सकें कि कैसे वो मददगार बन सकते हैं।
CM Sai Today Visit: आज इन जिलों के दौरे पर…
3 hours ago