विधानसभा में कानून पेश करने की अपील
महंत ने जोर देकर कहा कि यदि पत्रकार सुरक्षा कानून को विधानसभा में प्रस्तुत किया जाता है, तो इसे सर्वसम्मति से पारित कराने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि पत्रकारों की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति से ऊपर उठकर समर्थन दें।
पत्रकारों की सुरक्षा: सरकार का दायित्व
महंत ने स्पष्ट किया कि पत्रकारों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है। (Chhattisgarh patrakar suraksha kanoon) उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व है कि पत्रकार बिना किसी दबाव या खतरे के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। महंत ने यह भी कहा कि इस कानून को लागू करने में समाज के हर वर्ग का सहयोग आवश्यक होगा। इससे न केवल पत्रकारिता को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि लोकतंत्र की जड़ें भी और मजबूत होंगी।
राज्य में पत्रकार सुरक्षा की बढ़ती मांग
पिछले कुछ समय से राज्य में पत्रकारों पर बढ़ते हमले और सुरक्षा संबंधी चुनौतियां सामने आई हैं। बीजापुर में युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। चंद्राकर ने सड़क निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया था, जिससे संबंधित ठेकेदार ने साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने ठेकेदार के खिलाफ जांच शुरू की, लेकिन यह मामला राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
अन्य घटनाएं भी चिंताजनक
यह मामला अकेला नहीं है। धमतरी में अवैध वसूली की खबर दिखाने पर IBC24 के संवाददाता को वन विभाग के एक अधिकारी ने धमकी दी और गाली-गलौच की। यह मामला बढ़ने पर आरोपी अधिकारी को न केवल पद से हटाया गया, बल्कि गिरफ्तार भी किया गया।
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पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता
इन घटनाओं ने पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को और प्रासंगिक बना दिया है। यह स्पष्ट है कि जब तक पत्रकारों को सुरक्षित माहौल और कानूनी संरक्षण नहीं मिलेगा, तब तक स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता संभव नहीं हो सकेगी। (Chhattisgarh patrakar suraksha kanoon) महंत ने कहा कि इस कानून के जरिए न केवल पत्रकारों को उनका हक मिलेगा, बल्कि यह लोकतंत्र की मजबूती के लिए भी एक अहम कदम होगा।