Rapidly spreading diphtheria and ektangia disease in cattle
सरायपाली। अंचल के पशुओं में लंपी वायरस के बाद अब एक नया संक्रमण फैल रहा है। गलघोंटू एवं एकटंगिया नाम के इस बीमारी से अंचल के किसान एवं मवेशी पालने वाले काफी परेशान है। इस संक्रामक रोग के तेजी से फैलने के कारण अंचल में अफरातफरी का महौल है। आलम यह है कि कृषकों को अब आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। गलघोंटू बीमारी से पशुओं को तेज बुखार, गले में सूजन, फिर 24 घंटे के भीतर दम घुटने से पशुओं की मृत्यु हो जा रही है, जिसमें वयस्क एवं भैसवंशीय पशु अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
आनन-फानन में पशुओं को इस संक्रमण से बचाने के लिए पशु चिकित्सक के टीम द्वारा लगातार सघन टीकाकरण को तेज कर दिया गया है। दूसरी तरफ एकटंगिया रोग से चार साल तक के उम्र के बछड़े-बछिया अधिक प्रभावित हो रहे हैं। ये छूतदार संक्रामक बीमारी है। इसके प्रकोप होने से कृषकों को काफी आर्थिक क्षति पहुंचती है। फिलहाल इस संक्रमण के रोकथाम के लिए विभाग द्वारा कृषकों को इस क्षति से बचाने के लिए जिले में सघन टीकाकरण कार्यकम चलाया जा रहा है।
गलघोंटू एवं एकटंगिया दोनों जीवाणु जनित रोग है। गलघोंटू बीमारी में पशुओं को तेज बुखार, आँखों में सूजन के साथ-साथ गले में संक्रमण होता है। जिससे पशु को सांस लेने में परेशानी होती है एवं घर्र-घर्र के आवास के साथ मुंह से लगातार लार बहने लगता है। एकटंगिया बीमारी में भी तेज बुखार होता है। साथ में जांघ की मांसपेशी में दर्द युक्त सूजन होता है जिसे दबाने पर चर्र-चर्र की आवाज आती है जिससे पशु को चलने में परेशानी होती है। एकटंगिया रोग के लिये 04 माह से 02 वर्ष के पशु अति संवेदनशील होते है, जबकि गलघोंटू 04 माह के ऊपर के सभी पशुओं में होने की संभावना रहता है। IBC24 से भूषण साहू की रिपोर्ट
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