Maghi Punni fair started at Triveni Sangam of Prayagraj Rajim

आज से शुरू हुआ राजिम माघी पुन्नी मेला, त्रिवेणी संगम में श्रद्धालुओं ने स्नान कर किया दीपदान

Maghi Punni fair started at Triveni Sangam of Prayagraj Rajim प्रयाग कहलाने वाले राजिम में माघी पुन्नी मेले की शुरुआत हो चुकी है।

Edited By :   Modified Date:  February 5, 2023 / 09:44 AM IST, Published Date : February 5, 2023/9:42 am IST

Maghi Punni fair started at Triveni Sangam of Prayagraj Rajim: राजिम। छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहलाने वाले राजिम में माघी पुन्नी मेले की शुरुआत हो चुकी है। माघ पूर्णिमा के अवसर पर आज प्रयागराज राजिम के त्रिवेणी संगम तट पर श्रद्धालुओं ने माघी पुन्नी का पुण्य स्नान किया। स्नान करने हेतु पूरे देश सहित प्रदेश के कोने कोने से लोग पहुंचे व गंगा घाट में डुबकी लगाकर पुण्य स्नान किया। साथ ही श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर स्नान कर दीपदान भी किया व नदी में रेत के शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना भी किया। पुन्नी स्नान के बाद राजीवलोचन व कुलेश्वरनाथ मंदिर में दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। लोग लाइन लगाकर दर्शन करते हुवे दिखायी दिये।

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महाशिवरात्रि तक चलेगी माघ पुन्नी का मेला

आपको बता दें कि आज से ही राजिम माघी पुन्नी मेले की शुरुआत होने जा रही है जोकि महाशिवरात्रि 18 फरवरी तक चलेगी। माघी पुन्नी मेले के उद्घाटन समारोह में आज स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शाम 5 बजे राजिम पहुंचने वाले है। उनके साथ मे धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू व क्षेत्रीय विधायक अमितेश शुक्ल सहित जिले के कलेक्टर, एसपी सहित आला अधिकारी मौजूद रहेंगे।

मेला की शुरुआत कल्पवास से

Maghi Punni fair started at Triveni Sangam of Prayagraj Rajim: दरअसल, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित पवित्र धार्मिक नगरी राजिम में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक पंद्रह दिनों का मेला लगता है। राजिम में तीन नदियों का संगम है इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है, यहाँ मुख्य रूप से तीन नदियां बहती हैं, जिनके नाम क्रमशः महानदी, पैरी नदी तथा सोंढूर है। संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव जी विराजमान है।

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राज्य शासन द्वारा वर्ष 2001 से राजिम मेले को राजीव लोचन महोत्सव के रूप में मनाया जाता था, वर्ष 2005 से इसे कुम्भ के रूप में मनाया जाता रहा था, और अब 2019 से राजिम माघी पुन्नी मेला के रूप में मनाया जा रहा है। यह आयोजन छत्तीसगढ़ शासन धर्मस्व एवं पर्यटन विभाग एवं स्थानीय आयोजन समिति के तत्वाधान में होता है। मेला की शुरुआत कल्पवास से होती है।

 

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