(रिपोर्टः राजेश मिश्रा) रायपुरः Liquor prohibition in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में शराब और शराबबंदी का मुद्दा हमेशा से राजनीतिक दलों के लिए बड़ा सियासी मुद्दा रहा है। कांग्रेस सरकार आने के बाद विपक्ष ने धान, किसान के बाद अगर किसी मुद्दे को सबसे ज्यादा आक्रामकता के साथ उठाया है तो वो शराबबंदी ही है। विपक्ष के हमलों के बीच राज्य सरकार ने शराबबंदी से पहले चरणबद्ध तरीके से नशामुक्ति अभियान चलाने का फैसला किया है। अभियान को सफल बनाने राज्य और जिलास्तर पर महिला समिति का गठन के लिए नोडल अफसरों की नियुक्ति कर दी है। लेकिन विपक्ष का दावा है कि सरकार ये सब केवल दिखावा के लिए कर रही है। विपक्ष के आरोपों में कितनी सच्चाई है? क्या शराबबंदी की मुहिम के लिए नशामुक्ति अभियान जरूरी है?
Liquor prohibition in Chhattisgarh शराब छत्तीसगढ़ की राजनीति का सबसे संवेदनशील मुद्दा है। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आए दिन आरोप-प्रत्यारोप और नोकझोंक होती रहती है। विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरता रहता है। अब जब विधानसभा चुनाव में करीब डेढ़ साल का समय बचा है। तो विपक्ष को बैकफुट पर रखने छत्तीसगढ़ सरकार ने शराबबंदी को लेकर चरणबद्ध तरीके से काम शुरू कर दिया। सरकार पहले ही इसके लिए 3 कमेटियां गठित की है जो शराबबंदी करने वाले दूसरे राज्यों में जाकर शराबबंदी के बाद की परिस्थितियों का अध्ययन कर रही है। लेकिन शराबबंदी के पहले राज्य सरकार ने नशा मुक्ति अभियान चलाने का फैसला किया है। समाज कल्याण विभाग ने राज्य और जिला स्तर पर नोडल अफसरों की नियुक्ति कर दी है। हर गांव में भारत माता वाहिनी के गठन की तैयारी चल रही है। जिसके लिए 2 हजार से अधिक जनसंख्या वाले करीब 10 हजार ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है। वहीं स्वयंसेवी संस्था की मदद से सभी जिलों में 15 बिस्तर वाले नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की जाएगी। कांग्रेस का कहना है कि शराबबंदी के लिए ग्राम सभा का निर्णय माना जाएगा। जिस गांव के लोग शराबबंदी चाहते है वहां शराबबंदी की जाएगी।
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दूसरी ओर बीजेपी आरोप लगा रही है कि लोगों की नाराजगी के बचने के लिए सरकार केवल शराबबंदी का दिखावा कर रही है। जबकि शराबबंदी को लेकर बनी कमेटियों की अब तक एक भी बैठक नहीं हुई है। 3 साल में एक भी प्रतिवेदन नहीं आया है कि पूर्ण शराबबंदी करना है कि नहीं। महिला समितियों की भी नहीं सुनी जाएगी।
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वैसे छत्तीसगढ़ में शराब के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप की सियासत नयी नहीं है। कुछ दिन पहले ही पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने शराबबंदी को लेकर साफ-साफ कहा था कि राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में शराबबंदी नहीं हो सकती। जिसका भूपेश बघेल ने भी समर्थन किया था और हकीकत ये भी है कि कांग्रेस अपने घोषणापत्र में इन क्षेत्रों में शराबंबदी ग्राम सभाओं की अनुमति के बाद कही थी। हालांकि राज्य सरकार हमेशा से कहती आई है कि वो शराबबंदी के लिए ढृढ़संकल्पित है। लेकिन इसके लिए पहले जनजागरुकता जरूरी है। बहरहाल शराबबंदी के मुहिम को आगे बढ़ाते हुए सरकार नशामुक्ति अभियान चलाने जा रही है। जिसके बहाने बीजेपी एक बार फिर सवाल उठाते हुए सरकार को घेरने में जुट गई है।