कवर्धा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन कवर्धा में जनप्रतिनिधी और अधिकारी इस पर फलिता लगाने में कोई कसर नही छोड़ रहें हैं। एक तरफ सरकार विकास की बाते करती है वहीं दूसरी ओर जिले में एक गांव ऐसा भी है जो अपनी बदहाली की आंसू बहा रही है, यहां पीने को पानी नहीं, पहुंच मार्ग कच्ची और नल जल योजना में ठेकेदार की मनमानी साफ दिखाई दे रहा है, वहीं गांव का स्कूल भवन भी पूरी तरह जर्जर हो गया है।
किसी भी गांव का विकास तभी संभव है जब वहां सड़क बिजली और पानी की सुविधा सुगम हो, लेकिन जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत प्रभाटोला का आश्रित ग्राम परसहा में आजादी के बाद से लेकर अब तक पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका, यहां तक गांव के भीतर एक भी पक्की गलियां नही है। बरसात के दिनों में ग्रामीणों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कीचड़ की वजह से गांव से बाहर निकलना मुशिकल हो जाता है। ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधी और प्रशासन से पक्की सड़क निर्माण की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुना।
पेयजल की सुविधा के लिए कहने को गांव में तीन हैंडपंप है लेकिन इस भीषण गर्मी में भी तीनों बंद पड़ा है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्रामीणों को पेयजल और निस्तारी के लिए गांव से बाहर बोर से पानी ढोना पड़ता है। गांव में नल जल योजना का कनेक्शन बिछाई जा रही है, लेकिन ठेकेदार की मनमानी इस कदर हावी है कि घर के आंगन या बाड़ी के जगह बीच सड़कों में कनेक्शन दे रहे हैं।
प्लेटफॉर्म डेढ़ बनना था लेकिन बहुत छोटा निर्माण कर रहे हैं। मतलब पीएचई के अधिकारियों की लापरवाही के कारण ठेकेदार मनमाने तरीके से जल जीवन मिशन में खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं। वही क्षेत्रीय जिला पंचायत सदस्य ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है तो वहीं जिले के कलेक्टर ने गांव का मूल्यांकन कर जल जीवन मिशन के तहत निर्माण कार्य का जांच कराने का आश्वासन दिया है। अब देखना होगा कि इस गांव के बदहाली कब तक दूर होता है। IBC24 से सूर्यप्रकाश चन्द्रवंशी की रिपोर्ट
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