सूर्यप्रकाश चन्द्रवंशी, कवर्धा। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाने वाले आदिवासी बैगाओं के लिए सरकार कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। इसके साथ ही भूमिविहीन बैगाओं को पूर्व में जमीन का पट्टा वितरण भी किया गया था ताकि खेती कर अपना जीवन यापन कर सके। लेकिन, कवर्धा जिला के 39 आदिवासी बैगा परिवारों को शासन द्वारा जमीन का पट्टा मिलने के आठ साल बाद भी मालिकाना हक नही मिल पाया है जिसे लेकर पीड़ित परिवार दर दर भटकने को मजबूर हैं।
दरअसल, साल 2015-16 में तत्कालीन सरकार द्वारा 39 आदिवासी बैगा परिवार को खेतीं बाड़ी कर जीवन यापन करने लिए ढाई ढाई एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया था। लेकिन, उक्त जमीन पर ग्रामीणों का कब्जा है। इस बात की शिकायत प्रशासन को कई बार किया। लेकिन, पट्टा मिलने के आठ साल बाद भी प्रशासन जमीन का सीमांकन नही कर सका। 39 आदिवासी बैगा पारिवार का कहना है कि अपने परिवार का भरण पोषण करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साल 2018 से लेकर 2023 तक कांग्रेस विधायक और मंत्री के पास लगातार जमीन दिलाने की गुहार लगाते रहे। लेकिन, किसी ने इन भोले भाले बैगाओं की नही सूनी।
वर्तमान में सरकार परिवर्तन होते ही एक बार फिर आस लेकर आज कलेक्ट्रेट पहुंचे। वहीं बैगाओं से मिलने के बाद पंडरिया एसडीएम ने बताया कि पूर्व में कुछ लोगों के जमीन का सीमांकन कराने के बाद जमीन दिया गया था लेकिन ग्रामीणों के साथ विवाद हो गया,अगर जमीन अब तक नही मिला है तो पुनः जमीन दिलाने का आश्वासन दिया जा रहा है। लेकिन अब देखना होगा कि आठ साल से जमीन के लिए भटक रहे इन बैगाओं को जमीन मिलता है या अधिकारी का दावा एक बार फिर कोरी साबित होता है।
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