Maa Ashtabhuji Janjgir: नवरात्रि पर जरूर करें मां अष्टभुजी के दर्शन, पौराणिक कहानियों से जुड़ा है इसका इतिहास |

Maa Ashtabhuji Janjgir: नवरात्रि पर जरूर करें मां अष्टभुजी के दर्शन, पौराणिक कहानियों से जुड़ा है इसका इतिहास

Maa Ashtabhuji Janjgir: नवरात्रि पर जरूर करें मां अष्टभुजी के दर्शन, पौराणिक कहानियों से जुड़ा है इसका इतिहास

Edited By :   Modified Date:  April 1, 2024 / 01:48 PM IST, Published Date : April 1, 2024/1:48 pm IST

Maa Ashtabhuji Janjgir: जांजगीर चांपा जिले के अड़भार में मां अष्टभुजी का मंदिर है। इस मंदिर को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। यहां पांचवी-छठवीं शताब्दी के अवशेष इस स्थान पर मिलते हैं। इतिहास में अड़भार का उल्लेख अष्टद्वार के रूप में मिलता है। मां अष्टभुजी आठ भुजाओं वाली है, यह बात तो अधिकांश लोग जानते हैं लेकिन देवी के दक्षिण मुखी होने की जानकारी कम लोगों को ही है।

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सिद्ध जगत जननी माता अष्टभुजी का मंदिर दो विशाल इमली पेड़ के नीचे स्थित है। दक्षिण मुखी मूर्ति के ठीक दाहिने में देगुन गुरु की प्रतिमा योग मुद्रा में विराजी है। प्राचीन इतिहास में 8 बार का उल्लेख अष्ट द्वार के नाम से मिलता है। अष्टभुजी माता का मंदिर और इस नगर के चारों ओर बने 8 विशाल दरवाजों की वजह से इसका प्राचीन नाम अष्ट द्वार और धीरे-धीरे अपभ्रंश होकर इसका नाम अड़भार हो गया।

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Maa Ashtabhuji Janjgir: लगभग 6- 7 किलोमीटर की परिधि में बसा यह नगर अपने आप में अजीब है। यहां हर 100 से 200 मीटर की खुदाई करने पर किसी न किसी देवी देवता की मूर्तियां खण्डित अवस्था मिल जाती हैं। आज भी यहां के लोगों को भवन, घर बनाते समय प्राचीन टूटी फूटी मूर्तियां या पुराने समय के सोने चांदी के सिक्के प्राचीन धातु की कुछ ना कुछ सामान अवश्य मिलते हैं। इस मंदिर में एक वेदशाला भी स्थित है।

 

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