रायपुर। Is politics happening on Naxalism छत्तीसगढ़ में एक बार फिर नक्सलवाद पर बड़ी बहस छिड़ गई है। जगदलपुर दौरे पर आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ब्त्च्थ् ने माओवादियों को पीछे धकेल दिया है और हत्या के मामलों में 78ः की कमी आई है। जबकि इससे पहले प्रदेश के बीजेपी नेता राज्य सरकार को नक्सल मोर्चे पर फेल बताते आए हैं। इन बयानों के क्या मायने हैं और छत्तीसगढ़ की सियासत पर इसका क्या असर होगा।
Is politics happening on Naxalism छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर राजनीति नई बात नहीं सत्ता पक्ष की मानें तो नक्सलवाद खात्मे की ओर है तो वहीं विपक्ष नक्सल मोर्चे पर सरकार को नाकाम बता रहा है। हैरानी तब होती है, जब विपक्ष यानी बीजेपी के ही एक बड़े नेता कहते हैं कि नक्सली घटनाएं कम हुईं हैं तो दूसरे नेता दावा करते हैं कि नक्सली हिंसा बढ़ रही है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का ये बयान इशारा करता है कि केंद्रीय एजेंसियां तो बेहतर काम कर रही हैं लेकिन स्थानीय तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा। इसी लाइन पर प्रदेश भाजपा के नेता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि 14 सीटों पर सिमटी बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है इसलिए वो ऐसे मुद्दों को उछाल रही है।
आंकड़ो पर गौर करें तो 2018 से 28 फरवरी 2023 के बीच नक्सली हिंसा में कुल 175 जवान शहीद हो गए। इसी दौरान 328 नक्सली मारे गए और 345 आम लोगों को जान गंवान पड़ी। दस साल यानी 2011 से 2020 की बात करें तो छत्तीसगढ़ में 3,722 नक्सली हमले हुए, जिसमें हमने 489 जवान खो दिए। इस दौरान 656 नक्सली मारे गए और 736 आम लोगों की जान भी गई। आंकड़े आपके सामने है.. नक्सलवाद पर क्या सच है और कितनी सियासत ये फैसला आप भी कर सकते हैं।