रायपुर । आरडीए के कमल विहार में प्लाट के आबंटन में बड़ा खेल करने का खुलासा हुआ है। सेक्टर 7 बी में टेंडर के नाम पर जिम्मेदारों ने रसूखदार व्यापरियों के बीच प्लाट की बंदरबांट की जिससे 500 करोड़ रुपए के बैंक कर्ज में डूबे आरडीए को करोड़ों का नुकसान तो हुआ ही साथ ही आम व्यापारी अपने अधिकारों से वंचित रह गए। कमल विहार सरकारी हाउसिंग प्रोजेक्ट में लापरवाही के बाद अब कमर्शियल प्लॉट के आवंटन के नाम पर बड़े खेल के भी आरोप लग रहे हैं। IBC24 के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं, उससे साफ पता चलता है कि कमल विहार के सेक्टर-7B में कमर्शियल प्लॉट बेचने के नाम पर रसूखदारों को फायदा पहुंचाया गया। इस पूरी प्रक्रिया में मिलीभगत से आरडीए को करोड़ों के नुकसान के साथ ही जरूरतमंद व्यापारियों को प्लॉट से वंचित रखा गया। आरडीए ने साल 2021 फरवरी में कमल विहार के सेक्टर-7B में व्यापारियों को 107 कमर्शियल प्लॉट ऑफसेट मूल्य 2,680 रुपए में ही बेच दिए
इन प्लॉट की बिक्री के लिए अखबारों में कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया । आनन-फानन में इन्हें चुनिंदा लोगों को बेच दिया गया, 107 प्लॉट के लिए सिर्फ 107 व्यापारियों ने ही निविदा डाली। सभी 107 व्यापारियों ने निविदा में एक ही रेट 2,680 रुपए डाला, RDA का ऑफसेट मूल्य भी ठीक 2,680 रुपया ही तय था । सभी 107 निविदादाताओं को 107 प्लॉट आवंटित कर दिए गए। RDA ने जिन्हें प्लॉट बेचा उनको इस पर 5% की छूट दी गई। 500 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे RDA को 12-15 करोड़ का नुकसान हुआ।
आरडीए के नवनियुक्त सीईओ चंद्रकांत वर्मा से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि नियम के तहत कार्रवाई की गई है। लेकिन 107 लोगों की ओर से एक ही रेट डालने को लेकर संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. जबकि आरडीए अध्यक्ष सुभाष धुप्पड़ ने कहा कि वो शासन की ओर से जवाब देने के लिए अधिकृत ही नहीं हैं।