रायपुर: CG Naxal News सरकार के लाल आंतक के सफाए के संकल्प और नक्सली मांद में फोर्स के दमदार एक्शन से बस्तर में गेम बदल चला है। नक्सली अब उनकी मांद में भी सुरक्षित नहीं देखे जा रहे। जवान उन्हें उन्हीं के गढ़ में ढूंढ़-ढूंढ़कर साफ कर रहे हैं। हालांकि ये भी उतना ही सच है कि नक्सली कई बार बैकफुट में जाने के बाद बाउंस बैक कर चुके हैं। बार-बार अपनी मौजूदगी से चौंका चुके हैं, लेकिन इस बार ग्रिप कहीं ज्यादा कसी हुई है। लेकिन इस मौके पर भी सियासी गलियारे में फोर्स के एक्शन पर सियासी बहस छिड़ी है। भरोसे पर सवालिया निशान लगाया जा रहा है। कितना दम है विपक्ष की शंकाओं और सवालों में सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या अब जल्द बस्तर नक्सल हिंसा से मुक्त होगा?
Read More: सोयाबीन ऑयल पैकेजिंग प्लांट में लगी भीषण आग, मची अफरातफरी, दमकल की 10 गाड़ियां मौजूद
CG Naxal News बस्तर पुलिस को खबर मिली कि माढ़ डिवीजन सचिव रानीता और सुखलाल की जंगल में मौजूदगी है। जिसके बाद में ऑपरेशन मानसून लॉन्च किया गया। माओवादियों के सुरक्षित गढ माने जाने वाले माढ एरिया में पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में 8 माओवादियों को ढेर किया। मुठभेड़ में 3 जवान घायल हुए जिनमें से एक जवान घटना स्थल से वापस लाते वक्त हो शहीद हो गए। बाकि दो घायल जवानों को चौपर की मदद से एयरलिफ्ट किया गया। अबूझमाड़ के कुतुल, फरसबेड़ा, कोड़तामेटा के जंगल में बीते दो दिन से सर्चिंग ऑपरेशन चला। जिसमें 1400 जवान, छोटी-छोटी टुकड़ियों में निकले। इसमें ITBP, STF,BSF-135 वाहिनी कंपनी शामिल बताए गए। सर्च के दौरान फोर्स को मौके से, इंसास 303 राइफल, लांचर समेत भारी मात्रा में हथियार और नक्सली उपयोग का सामान मिला है। बीते 4 महीनों में बस्तर में जारी एंटी नक्सल अभियान में 120 से ज्यादा नक्सली ढेर हो चुके हैं।
Read More: बस्तर में आज फिर कम हुए 12 नक्सली, 4 गिरफ्तार 8 मारे गए, एक जवान शहीद दो घायल
नक्सल मोर्चे पर फोर्सेज को मिली कामयाबी को सरकार फोर्सेज के बढ़ते दबदबे और भरोसे के तौर पर देख रही है तो विपक्ष इसकी विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाता नजर आया।
दरअसल, माढ एरिया कमेटी माओवादियों के शीर्ष नेताओं की सुरक्षित पनाह रही है। ये पूरा ऑपरेशन नारायणपुर के कुतुल से लगे फरसमेट-कोडतामेटा क्षेत्र में किया गया। जो फोर्स के इरादे को साफ करता है कि अब कोई भी इलाका नक्सलियों के लिए सुरक्षित या फोर्स की पहुंच से बाहर नहीं है दूसरा अब बारिश के दौरान भी ऑपरेशन जारी रहेंगे। यहां हैरत है इस मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष के बीच जारी सियासी बयानबाजी को लेकर सवाल है, विपक्ष के पास आरोपों को कोई ठोस आधार है या फिर ये कोरी सियासत है?
Follow us on your favorite platform: