Gulaal and other materials may be banned in Bhoramdev temple, the technical team of the Department of Culture and Archeology gave the report

भोरमदेव मंदिर में गुलाल व अन्य समाग्री पर लग सकता है प्रतिबंध, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के तकनीकी टीम ने दी रिपोर्ट

Gulaal and other materials may be banned in Bhoramdev temple, the technical team of the Department of Culture and Archeology gave the report

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : September 16, 2021/7:10 pm IST

रायपुर : राज्य शासन के संस्कृति एवं पुरात्व विभाग की टीम द्वारा कबीरधाम जिला प्रशासन के रिर्पोर्ट के आधार पर छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। इसकी प्रांरभिक तैयारियां शुरू हो गई है।

 

फणीनागवंशी काल, 11वीं शताब्दी में निर्मित छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक, पुरात्व,पर्यटन एवं धार्मिक जन आस्था के केन्द्र भोरमदेव मंदिर के परिसर एवं गर्भगृह में हो रहे बरसात के पानी के रिसाव व मंदिर के बाहरी भाग के क्षरण के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर आज गुरूवार को छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरात्व विभाग की टीम ने मंदिर परिसर का अवलोकन किया। संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अमृत लाल पैकरा की अवलोकन टीम में चार अलग-अलग तकनीकी विशेषज्ञों ने बारिकी से निरीक्षण किया। निरीक्षण टीम में पुरात्व विभाग के सहायक अभियंता सुभाष जैन, उप अभियंता दिलीप साहू, केमिस्ट विरेन्द्र धिवर, मानचित्रकार चेतन मनहरे और जिला प्रशासन की ओर से कवर्धा एसडीएम विनय सोनी, डिप्टी कलेक्टर रश्मी वर्मा, बोडला तहसीलदार अमन चतुर्वेदी शामिल थे।

 

पुरात्व विभाग की संयुक्त टीम ने भोमदेव मंदिर परिसर एवं आसपास क्षेत्रों का बारिकी से अवलोकन किया। अवलोकन के बाद टीम ने कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा को भोरमदेव मंदिर परिसर के गर्भ गृह में पानी का रिसाव,व बाहरी भाग के रक्षण होने के वास्तविक कारणों को बताया।

 

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पुरात्व विभाग की विशेषज्ञों की टीम ने बताया छत्तीसगढ़ में 11वीं शताब्दी काल में निर्मित व इसके समकालिन अन्य मंदिरों की तुलना में भोमरदेव मंदिर की स्थिति बहुत ही अच्छा है। कुछ कारणों से पानी का रिसाव हो रहा हैं, इसकी रिपोर्ट विभाग को दे दी जाएगी। विशेषज्ञों की टीम ने भोरमदेव मंदिर के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में मंदिर की उपरी भाग की विशेष साफ सफाई, पत्थरों के जोड़ों को पुनः फिलिंग करने व विशेष कोडिंग के लिए रिपोर्ट बनाई है। टीम ने मंदिर के आसपास के पेड़ों की छटाई करने की रिपोर्ट जिला प्रशासन को दी है। टीम ने बताया कि पतझड़ के मौसम में आसपास के पेड़ों के पत्ते मंदिर के उपरी भाग में जम गए है, जिसकी वजह से पानी की निकासी सही नहीं हो पा रही है। पुरात्व विभाग के विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर के चारों दिशा में भूतल से नए सिरे से फिलिंग करने के लिए सर्वे किया है।

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तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर के गर्भगृह के बाहरी भाग में चावल व केमिकल युक्त गुलाल, चंदन व वंदन लगाने के लिए प्रतिबद्ध करने की बात कही है। एसडीएम विनय सोनी ने बताया कि मंदिर में अंदर गर्भगृह में भोरमेदव प्रतिभा में चावल व केमिकल युक्त गुलाल पर प्रतिबद्ध लगाया है। पुजारी अशीष शास्त्री ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर गर्भगृह में चावल व केमिकल युक्त अन्य समाग्री के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। सर्व साधारण को सुचना देने के लिए प्रबंधन समिति की ओर से सूचना पटल भी लगाई गई है।