रायपुर: 50 करोड़ की लागत से बने इंटरस्टेट बस टर्मिनल के 23 अगस्त को लोकार्पण की तैयारी है। लेकिन इससे पहले ही ISBT की जमीन को लेकर दूधाधारी मठ और प्रशासन के बीच तय शर्तों के पूरा नहीं होने की बात सामने आई है। मठ के महंत रामसुंदर दास ने कहा है कि 4 शर्तों के आधार पर मठ की तीस एकड़ जमीन ISBT के लिए दी गई थी, लेकिन चौदह सालों में महज 1 शर्त ही पूरी हो पाई है।
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रायपुर में इंटर स्टेट बस टर्मिनल का 23 अगस्त को लोकार्पण होने जा रहा है। बस टर्मिनल 50 करोड़ की लागत से भाठागांव में दूधाधारी मठ से मिली जमीन पर बनाया गया है। महापौर एजाज ढेबर के ऐलान के बाद मठ प्रबंधन ने प्रशासन को जमीन के बदले किए उसके चार वादे याद दिलाए हैं। दरअसल, 2007 में तत्कालीन सरकार के आग्रह पर मठ ने इंटरस्टेट बस टर्मिनल बनाने के लिये अपनी 30 एकड़ जमीन शासन को दी थी। इसके बदले चार शर्तें रखी गई थीं, मठ के महंत रामसुंदर दास की माने तो जमीन देने के 14 साल बाद बाद भी 3 शर्तें पूरी नहीं हो पाई हैं।
उन्होंने बताया कि शासन ने जमीन के बदले मठ को बदले में उतनी ही जमीन किसी और इलाके में देने का वादा किया था। मठ को VIP रोड पर पिपरौद गांव में तीस एकड़ जमीन दी तो गई पर अब उसमें गौठान बना दिया गया है, जमीन पर निर्माण भी किया गया है। लिहाजा, मठ ने शासन से नया रायपुर में 30 एकड़ जमीन मांगी है, लेकिन अब तक जिला प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिला है।
शासन ने नए भवन में मठ को 15 दुकानें देने का वादा भी किया था लेकिन अब तक इसे लेकर नगर निगम ने कोई जानकारी नहीं दी है। बस टर्मिनल से लगी मठ की कृषि और ग्रीन लैंड यूज की जमीन का लैंड यूज बदलकर आवासीय करने का वादा था जो आज तक पूरा नहीं हुआ है। चौदह सालों में बस टर्मिनल का नाम श्री बालाजी स्वामी ट्रस्ट श्री दूधाधारी मठ के नाम पर किए जाने का वादा ही पूरा हो पाया है। मठ के महंत रामसुंदर दास का कहना है कि लोकार्पण से उसे कोई आपत्ति नहीं है, उन्हें उम्मीद है कि 23 अगस्त से पहले प्रशासन अपने सारे वादे पूरे कर देगा।
इस मामले में पूर्व महापौर और नगर निगम के मौजूदा सभापति प्रमोद दुबे ने इसके लिए अफसरों को जिम्मेदार ठहराया है। अब देखना ये है कि 23 अगस्त से पहले प्रशासन दूधाधारी मठ से किए वादों को पूरा करता है या इसके लिए मठ का इंतजार और लंबा होगा। लेकिन यहां सवाल लोकार्पण से पहले ISBT की बदहाली का भी है।, क्योंकि बिना निगरानी के ISBT के भवन की खिड़कियां, दरवाजे टूट चुके हैं। साथ ही लाखों का सामान भी चोरी हो चुका है। हालत ये है कि भवन मवेशियों और अपराधियों का अड्डा बन गया है, ऐसे में लोकार्पण की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं।
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