राजिम। जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्रों में वनोपज संपदा की बाहुलता होने के चलते ग्रामीण क्षेत्र के रहवासियों का जीवन वनोपज के संग्रहण व उससे अपनी जरूरतों को पूरा करने वन के ऊपर केंद्रित रहता है। विभिन्न प्रकार के वनोपज का संग्रहण कर अपनी आमदनी बढ़ाने में ग्रामीण दिन रात भिड़े रहते है। वनोपज के कारण अब ग्रामीण खासे आत्मनिर्भर भी बन चुके है।
आपको बता दे कि घने जंगलों में बसाहट होने से वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण आजकल महुवे की फसल से खासा आमदनी लेकर अपने जीविकोपार्जन की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही कर्ज से मुक्त हो कर आत्मनिर्भर भी होने लगे है। राजिम के सुदूर वनांचल क्षेत्र में आदिवासी वर्ग आज भी तड़के सुबह 4 बजे उठकर जंगल की ओर रवाना होते हैं, वहीं महुआ के पेड़ के नीचे महुआ एकत्र कर खासा आमदनी भी ले रहे हैं। इसके साथ ही अपनी जरूरतों को पूरा करते हुए कर्ज से मुक्त होकर खुशहाल जीवन यापन भी कर रहे है। – IBC24 से नीरज कुमार शर्मा की रिपोर्ट
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