(रिपोर्टः राजेश मिश्रा) Fight between BJP and Congress रायपुरः उदयपुर में जो कुछ भी घटा और उसका जिस तरह से वीडियो बनाकर वायरल हुआ उससे सारे देश में उबाल है। सभी ने घटना को कट्टरपंथियों की वहशियाना करतूत करार दिया है। राजस्थान में घटी इस घटना के बाद भाजपा को सियासी तौर पर कांग्रेस को घेरने का एक बड़ा मौका हाथ लगा है। जिससे ना चूकते हुए प्रदेश भाजपा ने भी राजस्थान में गहलोत सरकार के बहाने पूरी कांग्रेस पार्टी को घेरते हुए कहा कि जहां-जहां भी कांग्रेस की सरकारें हैं वहां-वहां हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। पलटवार में कांग्रेस ने भी यूपी जैसे भाजपा शासित राज्यों में हो रही हिंसा पर पार्टी नेताओं की चुप्पी की याद दिलाई है। बड़ा सवाल ये कि इस वक्त जब सारा देश इस घटना से आक्रोशित है, उस वक्त इस आरोप में कितनी सच्चाई है? या फिर इसे हिंदुओँ के नाम पर जारी पॉलिटिक्स में कांग्रेस को घेरने के मौके के तौर पर देखा जाए?>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
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Fight between BJP and Congress राजस्थान में उदयपुर में दिनदहाड़े जिस तरीके से टेलर कन्हैयालाल साहू की हत्या कर दी गई। मृतक का कसूर केवल इतना था कि उसके 8 साल के बेटे ने नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था। इससे कट्टरपंथी नाराज थे और उसे जान से मारने की धमकी दे रहे थे। मंगलवार को दोनों कट्टरपंथी टेलर की दुकान पर पहुंचे और उसकी हत्या कर दी। घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद पूरे देश में लोग गुस्से में हैं। दूसरी ओर सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ बीजेपी ने घटना के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए। बीजेपी ने यहां तक कहा कि जहां-जहां कांग्रेस की सरकार है वहां हिंदू सुरक्षित नहीं है।
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रमन सिंह और धरमलाल कौशिक ने कन्हैयालाल के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधा तो पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बीजेपी पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया। यही नहीं मरकाम ने सवाल पूछा कि बीजेपी शासित राज्यों में हो रही घटनाओं पर बीजेपी नेता क्यों चुप रहती है।
कन्हैयालाल की हत्या जिस बर्बरता के साथ की गई उसे लेकर देशभर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही है। हर कोई इस तालीबानी हरकत की निंदा कर रहा है। तो राजनीति भी चरम पर है। सियासत से इतर सवाल वहीं का वहीं है कि क्या कन्हैयालाल की हत्या को रोका जा सकता था। सवाल ये भी कि क्या सियासी बयानबाजी से इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति रुकेगी?