बीजापुर, तीन अक्टूबर (भाषा) भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने बृहस्पतिवार को कहा कि नक्सलवाद एक विचारधारा है, जिसे विचारधारा के जरिए ही खत्म किया जा सकता है तथा इस समस्या से निपटने के नाम पर किसानों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने राज्य के बस्तर क्षेत्र में ग्राम पर्यटन नीति शुरू करने पर भी जोर दिया और कहा कि इससे आदिवासियों के लिए आजीविका कमाने के अवसर पैदा होंगे।
टिकैत बीकेयू की बीजापुर जिला इकाई द्वारा यहां आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
नक्सलवाद को खत्म करने के सवाल पर टिकैत ने कहा, ”नक्सलवाद एक विचारधारा है, जिसे विचारधारा के जरिए ही खत्म किया जा सकता है। लेकिन इस समस्या से निपटने के नाम पर किसानों को निशाना बनाना ठीक नहीं है।”
उन्होंने कहा, ”क्या सभी मुठभेड़ों की जांच नहीं होनी चाहिए? ग्रामीण दोनों पक्षों (सुरक्षा बलों और नक्सलियों का जिक्र करते हुए) का खामियाजा भुगतते हैं। वे हथियार लेकर नहीं लड़ सकते। उन्हें सुरक्षाबलों के साथ-साथ नक्सलियों से भी अपनी रक्षा करनी होती है।”
किसान नेता ने कहा कि बस्तर क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे है, ऐसे में पलायन के बाद क्या जमीन उद्योगपतियों को सौंप दी जाएगी?
उन्होंने कहा कि बस्तर बहुत खूबसूरत है और यहां पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
टिकैत ने कहा कि यहां ग्रामीण पर्यटन नीति लागू की जानी चाहिए, जिससे गांववालों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
उन्होंने बीजापुर समेत सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में सरकार द्वारा स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने और रोजगार के अवसर पैदा करने पर भी जोर दिया।
टिकैत ने सवाल किया कि अच्छी जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद बस्तर में लोग तनाव में क्यों रह रहे हैं?
इससे पहले अपने संबोधन में उन्होंने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, ”केंद्र में भाजपा की नहीं बल्कि व्यापारियों और उद्योगपतियों की सरकार है। अगर भाजपा सत्ता में होती तो वह संवाद और चर्चा करती। आप (सभा की ओर इशारा करते हुए) अपनी जमीन के लिए लड़ रहे हैं और हम भी उसी के लिए लड़ रहे हैं। आप दिल्ली नहीं जा सकते और हम दिल्ली के पास बैठे हैं। लेकिन संघर्ष जारी रहेगा। हमें अपनी लड़ाई और मजबूती से जारी रखनी है।”
कार्यक्रम के दौरान टिकैत ने बीकेयू की 27 मांगों के समर्थन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को संबोधित एक ज्ञापन भी जिला प्रशासन के एक अधिकारी को सौंपा।
मांगों में बस्तर और सरगुजा क्षेत्रों के अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (पेसा) नियमों को लागू करना, जैव विविधता से भरपूर हसदेव-अरंड जंगल में खनन गतिविधियों की अनुमति रद्द करना, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कृषि फसलों के लिए एमएसपी तय करना, महानगरों में वन उपज बेचने के लिए किसानों को परिवहन सब्सिडी देना और जैविक बोर्ड का गठन करना शामिल है।
भाषा सं संजीव
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