रायपुर : Tamradhwaj Sahu On Election Result : देश भर में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं और एनडीए सरकार का गठन हो चुका है। नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले ली है। इसके साथ ही सभी मंत्रियों को विभाग का बंटवारा भी हो चुका है। सरकार के गठन के बाद एक बार फिर देश में EVM का मुद्दा उठने लगा है। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के ग्यारह दिन बाद एक बार फिर ईवीएम पर सवाल उठे हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों पर सवाल उठाते हुए पहली बार ईवीएम पर टिप्पणी की है। राहुल गांधी ने EVM को ब्लैक बॉक्स बताया है। राहुल गांधी ने आगे कहा कि, भारत जैसे देश में किसी को भी इसकी जांच करने की अनुमति नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि, देश में निष्पक्ष चुनाव नहीं हुआ है। राहुल ने इसके अलावा एक न्यूजपेपर की कटिंग भी शेयर की है। जिसमें लिखा है कि मुंबई उत्तरपश्चिम लोकसभा सीट जीतने वाले शिवसेना सांसद (शिंदे गुट) रवींद्र वायकर के रिश्तेदार के पास ऐसा फोन है।जिससे ईवीएम को आसानी से खोला जा सकता है।
Tamradhwaj Sahu On Election Result : वहीं, अब राहुल गांधी के बयान पर छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का बड़ा बयान सामने आया है। पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि, देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी निष्पक्ष चुनाव नहीं है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कम से कम 4-5 सीट जीत रही थी। इंटेलिजेंस की रिपोर्ट कांग्रेस को 4-5 सीट दे रही थी, लेकिन कांग्रेस ने केवल एक सीट पर जीत दर्ज की। पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि, भाजपा ने EVM में सेटिंग कर गड़बड़ी की है।
Tamradhwaj Sahu On Election Result : आपको बता दें कि, लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का मुद्दा जमकर उठाया था। लेकिन जैसे ही चुनाव के नतीजे घोषित हुए तो यह मुद्दा गायब सा हो गया। हालांकि बीच-बीच में नेताओं ने इस पर सवाल जरूर उठाए। वहीं जो मुद्दा अचानक गायब सा हो गया था, वो फिर से सुर्खियों में आता दिख रहा है। अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ईवीएम को लेकर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। बता दें कि राहुल गांधी ने दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन एलॉन मस्क की एक्स पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए एक अखबार का हवाला देकर कहा कि भारत में ईवीएम एक ब्लैक बॉक्स है और किसी को भी उनकी जांच करने की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं। जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है। तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।