Semra Diwali Celebration 2024: धमतरी। देश के सबसे बड़े त्योहार दिवाली का हर किसी को बेसर्बी से इंतजार है। पांच दिनों के इस त्योहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। बता दें कि दिवाली हर साल कार्तिक अमावस्या की तिथि को मनाई जाती है। लेकिन इस बार से तिथि दो बार पड़ रही है, जिसके चलते 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है कि आखिर दिवाली किस दिन मनाई जाएगा। ऐसे में आपको बता दें कि, इस बार दिवाली 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। लेकिन, छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव हैं जहां आज यानी 24 अक्टूबर को दिवाली मनाई जा रही है।
सेमरा गांव की अनोखी परंपरा
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले है ग्राम सेमरा (भखारा) की, जहां एक अनोखी परंपरा विगत कई वर्षों से चली आ रही है। यहां के लोग कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी व नवमी तिथि के दिन ही दिवाली मना लेते हैं। ये परंपरा सदियों पुरानी चली आ रही है। ग्राम सेमरा के लोग आज भी इस अनोखी परंपरा का निर्वहन करते हुए एक सप्ताह पहले यानि 24 अक्टूबर को दिवाली मना लेंगे। इसके बाद 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा का होगी। गांव में इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है।
तय तिथि से पहले मनाया जाता है हर त्योहार
यहां प्रमुख त्योहार निर्धारित तिथि से एक सप्ताह पहले मनाया जाता है। गांव का कोई भी व्यक्ति इस परंपरा के खिलाफ नहीं जाता। मान्यता है कि गांव में सैकड़ों वर्ष पहले कोई बुजुर्ग राजा आए और यहीं बस गए। उनका नाम सिरदार था। यह गांव घन घोर जंगल से घिरा हुआ। राजा सिरदार पर गांव वालों गहरी आस्था थी। उनकी चमत्कारी शक्तियों और बातों से ग्रामीण प्रभावित थे। वे ग्रामीणों परेशानियां दूर करते थे। राजा सिरदार एक रोज शिकार के लिए गए और खुद शिकार हो गए, जिसके बाद गांव के बैगा को सपना आया कि मेरा शव इस स्थान पर है। इस सपने का जिक्र बैगा ने ग्रामीणों से किया, लेकिन बैगा की बातों को ग्रामीणों ने नहीं माना।
सिरदार देवता की आज्ञा का निर्वहन कर रहे ग्रामीण
इसके बाद मुखिया को यही स्वप्न दिखाई दिया, जिसके बाद ग्रामीणों ने जाकर देखा तो घटना सही थी। उस राजा का अंतिम संस्कार वहीं किया गया। एक छोटी सी चौड़ी में मंदिर स्थापना की गई, जो सिरदार देवता के नाम से जाना गया। बाद में सिरदार देवता ने फिर सपने में कहा कि, इस गांव में दीपावली सहित होली, हरेली व पोला चार त्योहारों को एक सप्ताह पहले मनाया जाए, जिससे गांव में सुख शांति की वृद्धि होगी। उन्होंने गांवों की खुशहाली के लिए ऐसा करने को कहा तब से हर साल दिवाली, होली, पोला और हरेली निर्धारित तारीख से एक सप्ताह पहले मनाई जाती है।
मंदिर में नहीं जाती महिलाएं
गांव के बुजुर्गों के मुताबिक सिरदार देव के मंदिर के पास एकजुट होकर हर्षोल्लास से त्यौहार मनाते हैं। परंपरा के अनुसार गांव की युवतियां और शादीशुदा महिलाएं सिरदार देव के करीब नहीं जातीं। ऐसा क्यों किया जाता है इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
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