Bilai Mata In Dhamtari: धमतरी में बिलाई माता के नाम से प्रसिद्ध इस दरबार में बीते पांच सौ सालों में आस्था की ज्योति प्रज्वलित है। यहां के चत्मकार से कई बार श्रद्धालु रुबरु हो चुके हैं। मान्यता है कि इलाके की वनदेवियों से मां का अटूट संबन्ध है और मां विध्यवासिनी रिसाई मां दन्तेश्वरी माता की बड़ी बहन है, जो स्वयं प्रकट होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसा रही है। मान्यता है कि जब कांकेर के राजा नरहरदेव शिकार के लिए जा रहे थे उस वक्त उन्हें घनघोर जगंल में माता के दर्शन हुए जिसके बाद उन्होंने माता की मां विध्यवासिनी रुप में अराधना की। तब से लेकर आज तक इस शक्ति स्थल में भक्ति की धारा अनवरत बह रही है। देवी धाम में दोनों नवरात्र पर्व में ज्योत जलाने की पंरपरा सदियों से चली आ रही है।
माना जाता है कि इस मंदिर की घंटियों की गुंज सुनकर ही शहर के लोगों के दिन की शुरुआत होती है माता इस शहर की ईष्टदेवी है। बताया जाता है कि जब माता ने सबसे पहले दर्शन दिए तब उनके पाषाण रुप के दोनों तरफ दो काली बिल्लियों का डेरा था जो मन्दिर बनने के बाद गायब हो गई। माता के ऊपर आस्था ऐसी कि लोग हर दुख तकलीफ में यहां आकर माता के सामने अर्जी लगाते हैं, जिससे भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
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