राष्ट्रवाद के लिए खतरे के तौर पर उभर रहा जनसांख्यिकीय बदलाव : धनखड़ |

राष्ट्रवाद के लिए खतरे के तौर पर उभर रहा जनसांख्यिकीय बदलाव : धनखड़

राष्ट्रवाद के लिए खतरे के तौर पर उभर रहा जनसांख्यिकीय बदलाव : धनखड़

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Modified Date: January 21, 2025 / 09:36 PM IST
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Published Date: January 21, 2025 9:36 pm IST

(तस्वीर के साथ)

रायपुर, 21 जनवरी (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि ‘‘जनसांख्यिकीय बदलाव’’ राष्ट्रवाद के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में उभर रहा है।

उन्होंने इसी के साथ प्रलोभन के माध्यम से ‘‘नैसर्गिक जनसांख्यिकी’’ को बदलने के प्रयासों के खिलाफ एकजुट प्रयासों का आह्वान किया।

विद्यार्थियों के साथ ‘‘बेहतर भारत के निर्माण के लिए विचार’’ विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने अवैध प्रवासन की समस्या से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इसने ‘‘अप्रबंधनीय आयाम’’ का आकार ले लिया है।

राज्य की राजधानी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रायपुर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भिलाई के छात्र मौजूद थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘चिंता का एक गंभीर कारण है जिसका हमें एकजुट होकर समाधान करने की जरुरत है। जनसांख्यिकीय बदलाव के रूप में हमारे राष्ट्रवाद के लिए खतरे उभर रहे हैं। जनसांख्यिकीय बदलाव बहुत गंभीर है।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ नैसर्गिक जनसांख्यिकीय विकास सुखदायक, सामंजस्यपूर्ण है। लेकिन, अगर जनसांख्यिकीय विस्फोट केवल लोकतंत्र को अस्थिर करने के लिए होता है, तो यह चिंता का विषय है और हम प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण का आयोजन कर रहे हैं।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ अपने लिए निर्णय लेना हर किसी का सर्वोच्च अधिकार है, लेकिन अगर वह निर्णय प्रलोभन द्वारा प्रेरित है और राष्ट्र की नैसर्गिक जनसांख्यिकी को बदलने की मंशा से है तो यह एक चिंता का विषय है जिस पर हम सभी को ध्यान देना चाहिए और समाधान करना चाहिए।’’

उन्होंने घुसपैठ के मुद्दे को उठाया और देश में इसके प्रभाव को रेखांकित किया।

धनखड़ ने कहा, ‘‘हम करोड़ों की आबादी वाले इस देश में घुसपैठ का सामना कर रहे हैं। अगर हम संख्या गिनें तो… दिमाग चकरा जाता है। घुसपैठियों से निपटना होगा, लेकिन ऐसी स्थिति पैदा हुई है कि सांकेतिक प्रतिरोध भी नहीं होता। यह एक ऐसी समस्या है जिससे हमें निपटना होगा क्योंकि इसने अप्रबंधनीय आयाम को हासिल कर लिया है।’’

धनखड़ ने कहा कि लाखों अवैध प्रवासी हमारे चुनावी तंत्र को अस्थिर करने की क्षमता रखते हैं, जहां लोग क्षुद्र राजनीतिक हित के बारे में सोचते हैं और उन्हें आसान समर्थक मिल जाते हैं। हमें हमेशा राष्ट्र को पहले रखना चाहिए और हमारे देश में एक अवैध प्रवासी का कोई औचित्य नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि अगर यह लाखों में है, तो अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को देखें।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे (अवैध प्रवासी) हमारे संसाधनों, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों पर दबाव डालते हैं। लाखों की संख्या में अवैध प्रवासियों की इस विकराल समस्या के समाधान के लिए हमारा समाधान अब और इंतजार नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा, ‘‘हर गुजरते दिन के साथ हम समाधान का इंतजार करते हैं, मुद्दा और अधिक जटिल हो जाता है और इसका समाधान करने की जरूरत है।’’

उपराष्ट्रपति ने संवाद के दौरान छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए।

इस अवसर पर राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी मौजूद थे।

भाषा धीरज रवि कांत

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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