Women Naxalite Leader Niti Urmila cremated Viral Video: बस्तर: इस महीने की शुरुआत में 4 अक्टूबर को बस्तर में तैनात डीआरजी और एसटीएफ के जवानों को बड़ी सफलता मिली थी। जवानों ने एक बड़े ऑप्स में 31 खूंखार नक्सलियों को ढेर कर दिया था। हालांकि अब माओवादी संगठन ने प्रेसनोट जारी करते हुए 31 नहीं बल्कि 35 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि की है।
इस मुठभेड़ के बाद कई दिनों तक शिनाख्ती की प्रक्रिया चली थी। पहचाने गए नक्सलियों के शव उनके परिजनों को सौंप दिया गया था जबकि कुछेक का अंतिम संस्कार खुद पुलिस की देखरेख में किया गया था। वही इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कुछ ग्रामीण किसी नक्सली नेता का अंतिम संस्कार कर रहे है। शव को माकपा (माओवादी) के ध्वज से ढंका गया है जबकि आसपास खड़ी महिलाएं फूट-फूटकर रो रही हैं।
Women Naxalite Leader Niti Urmila cremated Viral Video: दावा किया जा रहा है कि यह अंतिम संस्कार किसी और का नहीं बल्कि महिला डीवीसीएम नीति उर्फ़ उर्मिला का है। हालांकि IBC24 इस वीडियो के सत्यता की पुष्टि नहीं कर रही है। क्योंकि यह भी साफ़ नहीं है कि यह वीडियो थुलथुली मुठभेड़ के बाद का है या फिर पुराना। बहरहाल वीडियों में साफ़ देखा जा सकता है कि किस तरह आसपास खड़े लोग रो रहे है जबकि कुछ युवक शवदाह की तैयारी में जुटे हुए है।
नीति के सिर पर 25 लाख रुपए का इनाम था और वह माओवादियों के सबसे मजबूत ईकाई दंडकारण्य जोनल कमेटी की सदस्य थी। सुरक्षाबलों ने चार अक्टूबर को नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा में अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित थुलथुली और गवाड़ी गांव के करीब यह कार्रवाई की थी। थुलथुली, गवाड़ी और आस-पास के गांवों को माओवादियों के पीएलजीए कंपनी नंबर छह के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता था। इस कंपनी का नेतृत्व नीति कर रही थी। पुलिस ने बताया कि माओवादियों की पीएलजीए कंपनी नंबर छह के लिए थुलथुली, गवाड़ी और आसपास के गांवों को सुरक्षित ठिकाना माना जाता है और इसकी कमान नीति के पास थी। पीएलजीए कंपनी नंबर छह नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और बस्तर जिलों के जंक्शन पर सक्रिय है, जहां माओवादी अक्सर अपना प्रचार-प्रसार और ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने के लिए बैठकें करते हैं।
Women Naxalite Leader Niti Urmila cremated Viral Video: गवाड़ी गांव के 30 वर्षीय एक ग्रामीण ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ”नीति ने मुठभेड़ से दो दिन पहले गवाड़ी में ग्रामीणों के साथ बैठक की थी। उसके आखिरी शब्द यही थे कि पुलिस शिविर की स्थापना और सड़कें बनने की अनुमति न दें। हम सड़कें नहीं चाहते हैं क्योंकि अगर सड़कें बन गई तो हमारा ‘जल, जंगल और जमीन’ हमसे छीन लिया जाएगा।” नीति पड़ोसी बीजापुर जिले के गंगालूर इलाके के इरमागुंडा गांव की रहने वाली थी। खुद को किसान बताने वाले इस ग्रामीण ने दावा किया कि सुरक्षाकर्मी एक साल में दो बार गवाड़ी आए थे। उन्होंने बताया कि पुलिस ने अपने दौरे के दौरान ग्रामीणों से पूछताछ की और उनसे भी पूछताछ की गई। उन्होंने किसी भी ग्रामीण के नक्सलियों से संबंध होने से इनकार किया।
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