Naxalites Surreder in Chhattisgarh: दंतेवाड़ा: साल 2026 तक छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग समेत पूरे देश से वामपंथी उग्रवाद यानी माओवाद को समाप्त करने के सरकार के संकल्प के तहत, 2025 की शुरुआत बस्तर में प्रशासन और पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता के साथ हुई है।
ताजा जानकारी के मुताबिक, नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में एक वांछित नक्सली ने आत्मसमर्पण किया है। उसने दंतेवाड़ा के एसपी के समक्ष सरेंडर किया। यह नक्सली बस्तर क्षेत्र में माओवादियों के एरिया कमेटी का सदस्य था और उस पर सरकार की ओर से 3 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली का नाम कई हिंसक घटनाओं में जुड़ा हुआ है, जिनमें पुलिस दल पर हमले भी शामिल हैं।
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बस्तर में बदलाव की बयार
Naxalites Surreder in Chhattisgarh: साल 2024 बस्तर के लिए उम्मीदों की नई किरण लेकर आया था। लंबे समय से नक्सल समस्या से जूझते इस क्षेत्र ने बीते साल एक बड़ा बदलाव देखा। कभी हजारों वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैले माओवादी अब केवल 4,000 वर्ग किलोमीटर तक सीमित हो गए हैं। जहां पहले पुलिस नेटवर्क की कमी और राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव का फायदा नक्सली उठाते थे, वहीं अब हालात तेजी से बदल रहे हैं।
Naxalites Surreder in Chhattisgarh: बस्तर के आम लोग अब खुलकर नक्सलवाद का विरोध कर रहे हैं। नक्सलियों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं को तेजी से लागू किया जा रहा है। सड़कें, स्कूल, और स्वास्थ्य सुविधाएं ऐसे इलाकों में पहुंच रही हैं, जहां पहले जाने का नाम भी खतरे से जुड़ा था।
नक्सलवाद के खात्मे की योजना
पुलिस और सुरक्षा बलों ने बचे हुए नक्सल प्रभाव वाले इलाकों को माओवादियों से मुक्त करने के लिए व्यापक रणनीति बनाई है। इसके तहत समर्पण की नीति को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे माओवादी हिंसा के रास्ते को छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौट सकें।
Naxalites Surreder in Chhattisgarh: सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास और विश्वास निर्माण के जरिए स्थानीय लोगों को सशक्त बनाने का संकल्प लिया है। यह बदलाव इस बात का संकेत है कि बस्तर न केवल नक्सलवाद के अंधकार से बाहर निकल रहा है, बल्कि विकास और शांति की नई इबारत लिखने की ओर अग्रसर है।
2025 की यह शुरुआत एक सकारात्मक संदेश देती है कि बस्तर में स्थायी शांति की दिशा में सरकार और प्रशासन की कोशिशें रंग ला रही हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में बस्तर और दंतेवाड़ा जैसे इलाकों में नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
2024: नक्सल विरोधी अभियानों का विवरण
- 12 जनवरी 2024 – बीजापुर के गंगालूर क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 16 जनवरी 2024 – दंतेवाड़ा के बारसूर इलाके में एक नक्सली मारा गया।
- 20 जनवरी 2024 – बीजापुर के बासागुड़ा में तीन नक्सली ढेर हुए।
- 2 फरवरी 2024 – नारायणपुर के ओरछा क्षेत्र में दो नक्सली मारे गए।
- 4 फरवरी 2024 – सुकमा के भेज्जी इलाके में एक नक्सली को मार गिराया गया।
- 7 फरवरी 2024 – दंतेवाड़ा के किरंदुल क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 24 फरवरी 2024 – सुकमा के भेज्जी में एक और नक्सली मारा गया।
- 25 फरवरी 2024 – कांकेर के कोयलीबेड़ा क्षेत्र में तीन नक्सली मारे गए।
- 27 फरवरी 2024 – बीजापुर के जांगला इलाके में चार नक्सलियों को ढेर किया गया।
- 3 मार्च 2024 – कांकेर के छोटे बेठिया क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 11 मार्च 2024 – दंतेवाड़ा के किरंदुल क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 15 मार्च 2024 – बीजापुर के बेदरे क्षेत्र में दो नक्सली मारे गए।
- 16 मार्च 2024 – कांकेर के कोयलीबेड़ा में एक नक्सली मारा गया।
- 19 मार्च 2024 – दंतेवाड़ा के किरंदुल में दो नक्सली मारे गए।
- 23 मार्च 2024 – बीजापुर के गंगालूर में एक नक्सली मारा गया।
- 24 मार्च 2024 – सुकमा के जगरगुंडा में एक नक्सली मारा गया।
- 27 मार्च 2024 – बीजापुर के बासागुड़ा में छह नक्सलियों को मार गिराया गया।
- 2 अप्रैल 2024 – बीजापुर के गंगालूर क्षेत्र में 13 नक्सली मारे गए।
- 2 अप्रैल 2024 – सुकमा के किस्टाराम क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 5 अप्रैल 2024 – दंतेवाड़ा के किरंदुल में एक नक्सली मारा गया।
- 6 अप्रैल 2024 – बीजापुर के उसूर इलाके में तीन नक्सली मारे गए।
- 16 अप्रैल 2024 – कांकेर के छोटे बेठिया क्षेत्र में 29 नक्सली मारे गए।
- 24 अप्रैल 2024 – बीजापुर के भैरमगढ़ में एक नक्सली मारा गया।
- 29 अप्रैल 2024 – सुकमा के किस्टाराम में एक नक्सली मारा गया।
- 30 अप्रैल 2024 – कांकेर के टेकमेटा क्षेत्र में 10 नक्सली मारे गए।
- 23 अप्रैल 2024 – एक मुठभेड़ में आठ नक्सली मारे गए।
- 10 मई 2024 – बीजापुर के पीडिया इलाके में 12 नक्सली ढेर हुए।
- 8 जून 2024 – नारायणपुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर गोबेल मुंगोदी क्षेत्र मेंछह नक्सलियों को मार गिराया गया।
- 15 जून 2024 – अबूझमाड़ क्षेत्र में आठ नक्सली मारे गए।
- 9 जुलाई 2024 – नारायणपुर के छोटे बेठिया इलाके में एक महिला नक्सली को ढेर किया गया।
- 17 जुलाई 2024 – छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर 12 नक्सली मारे गए।
- 18 जुलाई 2024 – दंतेवाड़ा में एक महिला नक्सली मारी गई।
- 20 जुलाई 2024 – सुकमा में एक नक्सली को मार गिराया गया।
- 29 अगस्त 2024 – अबूझमाड़ के बिना गुंडम आद्नार क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान तीन वर्दीधारी नक्सली मारे गए।
- 30 अगस्त 2024 – अबूझमाड़ के कांकेर और नारायणपुर की सीमा में हुई मुठभेड़ में दो इनामी नक्सली ढेर हुए।
- 3 सितंबर 2024 – दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमा पर नौ नक्सली मारे गए।
- 5 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर छह नक्सली मारे गए।
- 14 सितंबर 2024 – सुकमा में एक नक्सली को मार गिराया गया।
- 23 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर तीन नक्सली मारे गए।
- 9 अक्टूबर 2024 – मुठभेड़ के दौरान 31 माओवादी मारे गए, जिन पर 2 करोड़ 15 लाख का इनाम था। बाद में नक्सलियों ने मृतकों की संख्या 35 बताई।
- 9 नवंबर 2024 – बीजापुर के रेखापलि क्षेत्र में मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए।
- 22 नवंबर 2024 – भंडारपदर क्षेत्र में मुठभेड़ के बाद 10 वर्दीधारी नक्सलियों के शव बरामद हुए।
- 12 दिसंबर 2024 – दक्षिण अबूझमाड़ में नारायणपुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर चार जिलों की पुलिस ने संयुक्त अभियान में सात वर्दीधारी नक्सलियों को मार गिराया।
कुल आँकड़े
दिसंबर 2024 के अंत तक विभिन्न मुठभेड़ों में कुल 217 नक्सली मारे गए हैं।
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821 ने डाले हथियार तो 857 चढ़े पुलिस के हत्थे
Naxalites Surreder in Chhattisgarh: साल 2024 के दौरान नक्सल प्रभावित इलाकों में कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आए हैं। इस वर्ष कुल 821 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि 857 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया। इसके साथ ही, सुरक्षा बलों ने नक्सलियों से 281 हथियार जब्त किए और 264 आईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बरामद किए। हालांकि, बीते वर्षों के मुकाबले इस बार नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों पर अधिक हमले किए गए।
साल 2024 में नक्सलियों द्वारा कुल 68 ग्रामीणों की हत्या की गई, जबकि 12 आम नागरिक इन घटनाओं में घायल हुए। तुलना करें तो, साल 2023 में 140 ग्रामीणों की हत्या हुई थी, साल 2022 में यह संख्या 36 थी, और 2021 में 33 ग्रामीण मारे गए थे।
Naxalites Surreder in Chhattisgarh: नक्सली हिंसा से संबंधित अपराधों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इस वर्ष कुल 383 नक्सली अपराध दर्ज किए गए, जो पिछले साल के मुकाबले (233 अपराध) काफी अधिक है। इसका एक प्रमुख कारण नए पुलिस थानों का खुलना है। पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। साल 2023 में जहां 69 मुठभेड़ हुई थीं, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 113 तक पहुंच चुका है। इन मुठभेड़ों में मारे गए नक्सलियों के शव बरामद करने के मामले में भी यह साल रिकॉर्ड बना चुका है। इस वर्ष कुल 217 वर्दीधारी नक्सलियों के शव बरामद किए गए, जो छत्तीसगढ़ गठन के बाद से सबसे अधिक है।
नक्सली हिंसा में कमी आने के चलते बस्तर और कोंडागांव जिलों को नक्सली-मुक्त घोषित किया गया है। छत्तीसगढ़ के पहले 15 जिले नक्सल प्रभावित माने जाते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर 13 रह गई है। लगातार नक्सल-मुक्त हो रहे इलाकों में पुलिस कैंप विकास का प्रतीक बनकर उभर रहे हैं। इन कैंपों के आसपास नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर विभिन्न योजनाओं को लागू किया जा रहा है।
2024 में नक्सल उन्मूलन अभियान में सफलता
प्रश्न 1: 2024 में सबसे बड़ी मुठभेड़ कब हुई?
- 16 अप्रैल 2024 को कांकेर के छोटे बेठिया क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए। यह साल की सबसे बड़ी कार्रवाई थी।
प्रश्न 2: अक्टूबर 2024 में कितने माओवादी मारे गए?
- 9 अक्टूबर 2024 को मुठभेड़ के दौरान 31 माओवादी मारे गए।
प्रश्न 3: क्या 2024 में नक्सल उन्मूलन अभियान सफल रहा?
- हाँ, 2024 में कुल 217 नक्सली मारे गए, जो अभियान की बड़ी सफलता को दर्शाता है।
प्रश्न 4: कौन से क्षेत्र 2024 में नक्सल गतिविधियों से सबसे अधिक प्रभावित रहे?
- बीजापुर, कांकेर, सुकमा, दंतेवाड़ा, और नारायणपुर क्षेत्र नक्सल गतिविधियों से सबसे अधिक प्रभावित रहे।
प्रश्न 5: नक्सल उन्मूलन अभियान में कौन-कौन सी प्रमुख रणनीतियाँ अपनाई गईं?
- संयुक्त पुलिस अभियान, उन्नत खुफिया जानकारी, और सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर समन्वय नक्सल उन्मूलन अभियान की प्रमुख रणनीतियाँ रहीं।