रायपुर: छत्तीसगढ़ की नई विष्णुदेव सरकार ने प्रदेश में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की हैं। सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 89 आईएएस के तबादले की लिस्ट जारी की है। इनमें कई जिलों के कलेक्टर और संभागायुक्त शामिल हैं। रायपुर के कलेक्टर्स सर्वेश्वर भूरे को छग निर्वाचन आयोग में सचिव के पद पर पदस्थ किया है तो वही 2013 बैच के आईएएस गौरव कुमार सिंह को राजधानी रायपुर का नया कलेक्टर बनाया गए हैं। कल कैबिनेट की बैठक संपन्न होने के बाद देर रात जीएडी ने यह लिस्ट जारी की हैं।
गौरतलब हैं कि पछली बार की तरफ इस बार भी जनसम्पर्क विभाग का जिम्मा 2006 बैच के आईपीएस अफसर मयंक श्रीवास्तव को सौंपा गया हैं। वही मंत्रालय में सचिवों के साथ ही 19 जिलों के कलेक्टर भी इधर से उधर हुए हैं।
सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा जारी लिस्ट में 19 जिलों के कलेक्टर प्रभावित हुए हैं। जिन अफसरों को जिले से हटाया गया हैं उन्हें दूसरे जिलों में तैनात किया गया हैं। इसी तरह जिन्हे जिन्हे जिले का प्रभार नहीं मिला हैं उन्हें विभागों की जिम्मेदारी दी गई हैं। बात करें दंतेवाड़ा कलेक्टर विनीत नंदनवार की तो उन्हें दंतेवाड़ा से हटाते हुए मंत्रालय अटैच कर दिया गया हैं। कलेक्टरी छीने जाने के बाद उन्हें मंत्रालय में अटैच करते हुए संयुक्त सचिव बनाया गया हैं। बताया जा रहा हैं कि पिछले दिनों दंतेवाड़ा के माँ दंतेश्वरी कॉरिडोर में करोड़ो रुपये की गड़बड़ी उजागर हुई थी जिसके बाद कलेक्टर पर यह कार्रवाई की गाज गिरी हैं। मामले के सामने आने के बाद उनपर कार्रवाई की तलवार लटक रही थी। वनमंत्री केदार कश्यप ने पूरे मामले की जाँच के बाद दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही थी।
दरअसल दंतेवाड़ा में बीते कुछ दिनों दंतेश्वरी कॉरीडोर का निर्माण किया जा रहा है। इसी प्रोजेक्ट के तहत मंदिर के समक्ष डंकिनी नदी के तट पर रिटेनिंग वाल का निर्माण किया जा रहा है। डेढ सौ मीटर लंबी, चार मीटर उंची वाल का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लागत 19 करोड 54 लाख रूपये हैं, लेकिन इस वाल का निर्माण चहेते ठेकेदार से करवाने आरईएस ने कार्य के 46 टुकडे कर दिये। आरईएस ने गोपनीय तरीके से टेंडर कराया और कृष्णा इंटरप्राईजेस का इसका वर्क आर्डर दे दिया। इस काम के 46 टुकडे इसलिये किये गये क्योंकि आरईएस के ईई के पास 50 लाख के अंदर ही कार्यों का तकनीकी स्वीकृति का अधिकार होता है। 19 करोड़ के इस कार्य का टेंडर एक साथ निकाला जा सकता था लेकिन इसके लिये फाईल उच्चाधिकारियों के पास भेजनी होती। उच्चाधिरियों को इसकी भनक न लगे, आरईएस के ईई आर के ठाकुर ने 50 लाख के अंदर के ही फाईल तैयार करवाये और कार्यादेश जारी कर दिया।
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