सौरभ सिंह परिहार, रायपुर: war between CM and former CM बीते दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा “मैं नक्सल प्रदेश से आता हूं”। इस एक ट्वीट से शुरू हुआ वार-पलटवार का क्रम अब तक थमा नहीं है, बल्कि इस पर बहस का एक नया मोर्चा खुल गया है। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस वक्त नक्सल प्रदेश बनाम नेता की सुरक्षा के मुद्दे पर बयानों की तलवारें चल रही हैं। आखिर इस सब के बीच छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ की जनता का क्या भला या नुक्सान है?
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war between CM and former CM प्रदेश में मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री एक बार फिर आमने-सामने हैं। इस बार नक्सलवाद और सुरक्षा के मुद्दे पर दोनों एक दूसरे पर बयानों के तीर चला रहे हैं। वार-पलटवार का ये सिलसिला शुरू हुआ दिल्ली से, जब राहुल गांधी से ED की पूछताछ के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे भूपेश बघेल को पुलिस ने रोक लिया। इस पर मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि मैं अपने घर और कार्यालय इनसे पूछ कर जाऊंगा। मैं नक्सल प्रदेश से आता हूं, मुझे जेड प्लस सुरक्षा है और मुझसे कह दिया जाता है कि सिर्फ एक सुरक्षाकर्मी लेकर जाएंगे। आखिर साजिश क्या है? इस ट्वीट के बाद बीजेपी नेताओं ने कहा कि सीएम छत्तीसगढ़ को नक्सल राज्य बताकर बदनाम कर रहे है, जिस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी तीखे लहजे में पलटवार किया।
सीएम बघेल ने न केवल सुरक्षा के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा, बल्कि ये भी आरोप लगाया कि बीजेपी शासनकाल में नक्सल समस्या कई जिलों तक फैली। सियासी बयानबाजी से इतर क हकीकत ये भी है कि छत्तीसगढ़ अब भी नक्सल समस्या से जूझ रहा है। नक्सली घटनाओं में बीजेपी-कांग्रेस के कई नेता शहीद हुए हैं। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर रमन सिंह छत्तीसगढ़ को नक्सल प्रभावित मानने से क्यों इनकार क्यों कर रहे हैं। सवाल ये भी कि मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच सुरक्षा पर शुरू हुआ वाकयुद्ध का सीधा कनेक्शन विधानसभा चुनाव से है?
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