कांग्रेस ने मुआवजे के वितरण में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की |

कांग्रेस ने मुआवजे के वितरण में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की

कांग्रेस ने मुआवजे के वितरण में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की

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Modified Date: March 12, 2025 / 05:04 PM IST
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Published Date: March 12, 2025 5:04 pm IST

रायपुर, 12 मार्च (भाषा) छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भारतमाला सड़क परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजे के वितरण में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग को लेकर हंगामा किया।

राज्य सरकार द्वारा उनकी मांग नहीं माने जाने पर कांग्रेस सदस्यों ने इस मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विपक्ष के नेता चरणदास महंत ने प्रश्नकाल में यह मुद्दा उठाया और कहा कि सरकार ने भारतमाला सड़क परियोजना के लिए रायपुर जिले के कुछ गांवों में भूमि अधिग्रहण के बदले किये गये मुआवजा वितरण में अनियमितताओं को स्वीकार किया है।

उन्होंने कहा कि इन अनियमितताओं के कारण केंद्र के खजाने को 43.19 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा कि यह नुकसान कुछ गांवों में भूमि अधिग्रहण में कथित अनियमितताओं के कारण सामने आया है।

महंत ने कहा कि 350 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त मुआवजा दिया गया है लेकिन पूरे भारतमाला परियोजना के तहत धन का दुरुपयोग किया गया है।

उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों को निलंबित किया गया है, लेकिन पूरे मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराई जानी चाहिए।

अपने जवाब में राज्य के राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा कि भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापटनम आर्थिक गलियारे के लिए जनवरी 2020 में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गई थी और 18 मार्च 2021 को भूमि अधिग्रहण का ठेका दिया गया था।

उन्होंने कहा कि बाद में मुआवजा वितरण से संबंधित शिकायतें प्राप्त हुईं, जिसके बाद रायपुर के जिलाधिकारी को अगस्त 2022 में जांच शुरू करने के लिए लिखा गया था।

मंत्री ने माना कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में अनियमितताएं की गईं, जो अलग प्रकृति की थीं, जैसे अधिसूचना जारी करने के बाद भूमि का भागों में विभाजन, पहले से अधिग्रहित भूमि का अधिग्रहण और वास्तविक मालिक के बजाय अन्य व्यक्तियों को मुआवजा आवंटित करना।

उन्होंने कहा कि रायपुर के जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, नायकबांधा गांव में 13 मूल खसरों को 53 छोटे भूखंडों में विभाजित करके मुआवजा वितरित किया गया था।

वर्मा ने बताया कि जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भूमि अधिग्रहण के लिए प्रारंभिक अधिसूचना जारी होने और मुआवजा स्वीकृत होने के बाद फर्जी स्वामित्व हस्तांतरण तैयार कर पिछली तारीखों में खरीद-फरोख्त (भूमि की) के मामलों को शामिल किए जाने से सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ है।

उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने तत्कालीन नायब तहसीलदार गोबरा नवापारा लखेश्वर प्रसाद किरण, तत्कालीन पटवारी जितेंद्र साहू (क्षेत्र क्रमांक 49 नायकबांधा), वर्तमान पटवारी दिनेश पटेल (क्षेत्र क्रमांक 49 नायकबांधा), तत्कालीन पटवारी लेखराम देवांगन (क्षेत्र क्रमांक 24 टोकरो गांव) को निलंबित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं सक्षम अधिकारी (भूमि अधिग्रहण) निर्भय साहू और तत्कालीन तहसीलदार अभनपुर शशिकांत कुर्रे के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है।

महंत ने कहा कि चूंकि मंत्री अनियमितताओं को स्वीकार कर रहे हैं, इसलिए हम मांग करते हैं कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए और मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया जाए।

मंत्री ने कहा कि सरकार रायपुर संभागीय आयुक्त से मामले की गहन जांच कराएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

इसके बाद महंत ने सदन के सदस्यों की एक समिति के माध्यम से जांच की मांग की।

हालांकि मंत्री ने दोहराया कि मामले की जांच आयुक्त द्वारा की जा रही है।

तब महंत ने कहा कि वह सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

इसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।

भाषा संजीव राजकुमार

राजकुमार

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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