जगदलपुरः देश के सबसे बड़े नक्सली हमले में कांग्रेस के बड़े नेता सहित 32 लोग शहीद हुए थे। उस घटना की आज दसवीं बरसी है। सीएम भूपेश ने जगदलपुर के झीरम मेमोरियल में पहुंच नक्सल घटना में मारे गए नेताओं और जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान सीएम ने परिवर्तन यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि नंदकुमार पटेल कहते थे हमें आदिवासियों के जीवन में परिवर्तन लाना है। लेकिन परिवर्तन का संकल्प लेने वाले हमारे नेता आज हमारे बीच नहीं है। सीएम ने आगे कहा कि इस घटना से किसको फायदा मिला। नक्सली घटना करते हैं और उस स्थान को छोड़ देते हैं। लेकिन ऐसा पहली हुआ जब ब्लास्ट किये फिर गाड़ी रोककर गोलियों की बौछार हुई। हमारे साथी कहीं न कहीं छिप गए थे।
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सीएम भूपेश ने कहा कि घटना के बाद प्रधानमंत्री आए, उन्होंने NIA जांच की घोषणा की। हम लोग आक्रोशित थे। सब को ढांढस बंधाया। किसी तरह की हिंसा का सहारा हमें नहीं लेना है। मनमोहन सिंह ने राज्य सरकार को बर्खास्त नहीं किया। बल्कि NIA जांच की घोषणा की। PM ने एक जांच कमेटी बनाई। NIA ने प्राथमिकी दर्ज की, उसमें इसकी गणपति और रमन्ना का भी नाम था। जैसे ही महेन्द्र कर्मा, नन्दकुमार पटेल हाथ लगे उन्होंने अपना ऑपरेशन बंद कर किया।
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दरअसल 25 मई 2013 को सुकमा जिले में परिवर्तन यात्रा सभा कर वापस बस्तर लौट रहे कांग्रेसियों के काफिले पर, दरभा झीरम घाटी में घात लगाए 200 से ज्यादा नक्सलियों ने हमला बोल दिया था। इस हमले में काफिले पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। जिसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, कांग्रेसी नेता उदय मुदलियार और जवानों के साथ ही आम आदमी सहित कुल 32 लोग मारे गए थे। इस घटना में कांग्रेस की एक पीढ़ी पूरी तरह से समाप्त हो गई थी।