रायपुर, 22 नवंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में ‘मुख्यमंत्री गुड गवर्नेंस फेलो योजना’ शुरू करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज रायपुर में ‘गुड गवर्नेंस’ विषय पर दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्य में ‘मुख्यमंत्री गुड गवर्नेंस फेलो योजना’ शुरू करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम)-रायपुर के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी छात्रों के लिए पब्लिक पॉलिसी एण्ड गवर्नेस में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करेगी। इसके लिए छात्रों का चयन कैट परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में आईआईएम-रायपुर में कक्षाओं के साथ-साथ छात्रों को छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्न विभागों में व्यावहारिक अनुभव भी प्रदान किया जाएगा। पाठ्यक्रम की पूरी फीस राज्य सरकार वहन करेगी, साथ ही छात्रों को निर्धारित मासिक वजीफा भी प्रदान करेगी। यह योजना शासन में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ राज्य के युवाओं को उच्च स्तरीय शिक्षा एवं प्रायोगिक अनुभव का अवसर प्रदान करेगी। इसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ में पेशेवरों की एक ऐसी पीढ़ी तैयार करना है जो सरकार, एनजीओ, थिंक टैंक और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर गवर्नेंस को बेहतर बनाने के क्षेत्र में काम करेगी।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री साय ने दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन में देश भर से आए हुए वरिष्ठ अधिकारियों और विषय विशेषज्ञों का छत्तीसगढ़ के नागरिकों की ओर से स्वागत करते हुए कहा, ‘‘ आप लोगों ने देश के विभिन्न राज्यों में चल रहे बेस्ट प्रेक्टिसेस को एक दूसरे से साझा किया है। सबने मिलकर सुशासन के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और भागीदारी को बढ़ाने के संबंध में विस्तृत विचार-विमर्श किया है। इन दो दिनों के दौरान आप लोगों ने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सुशासन की स्थापना की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में काफी कुछ जाना और समझा होगा।’’
उन्होंने कहा, ” जैसा कि आप लोग जानते हैं कि हम लोगों की राजनीतिक विचारधारा के मूल में ही सुशासन का विचार है। हमारे पुराणों में जिसे रामराज कहा गया है, उसे ही हम सुशासन कहते हैं। सर्वे भवन्तु सुखिनः हमारा मूल मंत्र है। अंत्योदय और एकात्म मानववाद हमारा राजनैतिक दर्शन है।”
साय ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम सुशासन के माध्यम से विकसित भारत के निर्माण में छत्तीसगढ़ की अधिक से अधिक से भागीदारी के लिए प्रयासरत हैं। हमारा 44 प्रतिशत भू-भाग घने जंगलों से आच्छादित है, इसलिए भारत के पर्यावरण और जैव विविधता को बचाए रखने की महती जिम्मेदारी भी हम पर है। इन सबके साथ-साथ राज्य की जनजातीय संस्कृति और परंपराओं को बचाए रखना भी हमारा प्राथमिक कर्त्तव्य है।”
उन्होंने कहा, ”सुशासन का परम लक्ष्य है-प्रत्येक नागरिक के जीवन को सुख-सुविधाओं से संतृप्त करना। राज्य में डबल इंजन की सरकार होने से हम इस लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले 11 महीनों में हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए शासन-प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित की है।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्यमंत्री (कार्मिक) डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन का पहला मूलमंत्र है पारदर्शिता और दूसरा है जवाबदेही।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से ही नयी दिल्ली के विज्ञान भवन से बाहर इस प्रकार के सम्मेलनों को आयोजित करने का विचार किया गया। देश का ऐसा कोई भी राज्य नहीं है, जहां पर सुशासन सम्मेलन का आयोजन न किया गया हो।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुशासन के तहत सबसे बेहतर कार्य यह किया कि दो हजार से ज्यादा कानून जो प्रचलन में नहीं थे, या गैरवाजिब हैं उनको खत्म किया गया।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार में पारदर्शिता के तहत लगभग 90 प्रतिशत कार्य ऑनलाइन होने लगे हैं। शिकायतों के निवारण के लिए भी ऑनलाइन की व्यवस्था की गयी है और इसमें निरंतर सुधार किए जा रहे हैं।
सिंह ने बताया कि प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग ने एक नया कार्य अपने हाथ में लिया है, जिसमें विजन डॉक्यूमेंट-2047 तैयार किया जा रहा है। जिसके तहत वर्ष 2047 में भारत कैसा होगा और हमारी भूमिका क्या होगी इस पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग तथा छत्तीसगढ़ शासन के सुशासन एवं अभिसरण विभाग ने किया था।
भाषा
संजीव, रवि कांत रवि कांत
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