छत्तीसगढ़ एसटी आयोग ने प्रस्तावित परसा कोयला ब्लॉक के लिए वन मंजूरी रद्द करने की सिफारिश की |

छत्तीसगढ़ एसटी आयोग ने प्रस्तावित परसा कोयला ब्लॉक के लिए वन मंजूरी रद्द करने की सिफारिश की

छत्तीसगढ़ एसटी आयोग ने प्रस्तावित परसा कोयला ब्लॉक के लिए वन मंजूरी रद्द करने की सिफारिश की

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Modified Date: November 6, 2024 / 05:54 PM IST
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Published Date: November 6, 2024 5:54 pm IST

रायपुर, छह नवंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने राज्य के सरगुजा संभाग में प्रस्तावित परसा कोयला खदान के लिए वन मंजूरी रद्द करने की सिफारिश की है।

आयोग ने ग्राम सभा के प्रस्तावों में अनियमितताएं पाए जाने का हवाला देते हुए सिफारिश की है, जिसके आधार पर परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी प्राप्त की गई थी।

आयोग ने प्रस्तावित खदान से प्रभावित गांवों–साल्ही, हरिहरपुर और फतेपुर में परियोजना के वास्ते अनुमति मांगने के लिए फिर से ग्राम सभा आयोजित करने की भी सिफारिश की है।

सिफारिशों पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि संबंधित अधिकारी मामले को देखेंगे।

पिछली कांग्रेस सरकार ने सरगुजा और सूरजपुर जिलों में फैले परसा खदान के लिए 841.548 हेक्टेयर वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग के लिए 2022 में अंतिम मंजूरी दी थी।

सरगुजा संभाग के जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरंड क्षेत्र में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित परसा कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई पिछले महीने भारी सुरक्षा के बीच शुरू हुई थी। हालांकि, नवंबर 2022 में राज्य सरकार ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन महानिदेशक को एक पत्र में परसा कोयला खदान के लिए 841.548 हेक्टेयर वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग की मंजूरी को रद्द करने का अनुरोध किया था।

आयोग के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने बुधवार को बताया, ”आयोग ने सरगुजा कलेक्टर को लिखे पत्र में परियोजना के लिए वनों की कटाई रोकने की सिफारिश की है तथा उन्हें परियोजना के लिए ग्राम सभा के फर्जी प्रस्तावों से संबंधित शिकायतों पर आयोग के निष्कर्ष उपलब्ध कराए हैं।”

सिंह ने बताया कि स्थानीय ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि परसा परियोजना के लिए पर्यावरण और वन मंजूरी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हासिल की गई है, जिसके बाद आयोग ने जांच की।

कलेक्टर को भेजे गए अनुशंसा पत्र पर आयोग के अध्यक्ष सिंह और दो सदस्यों–अमृत टोप्पो और गणेश सिंह ध्रुव के हस्ताक्षर हैं, जबकि आयोग के सचिव के हस्ताक्षर नहीं हैं।

सिंह ने कहा कि आयोग के सचिव ने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने राज्य के राज्यपाल को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है।

कलेक्टर को भेजे गए आयोग के अनुशंसा पत्र के अनुसार, सरगुजा जिले के साल्ही, हरिहरपुर, फतेपुर तथा सूरजपुर जिले के तारा, चारपारा और जनार्दनपुर गांवों के 41 ग्रामीणों ने तीन अगस्त 2021 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि परसा खदान के लिए पर्यावरण मंजूरी साल्ही, हरिहरपुर, फतेपुर और घाटबर्रा गांवों की ग्राम सभा के फर्जी प्रस्ताव तैयार करके हासिल की गई है। यह गांव परियोजना से प्रभावित होंगे।

पत्र में कहा गया है कि आयोग ने आवेदकों के बयानों और दस्तावेजों का अवलोकन और परीक्षण किया, जिसके दौरान यह पाया गया कि ग्राम सभा में पारित प्रस्ताव विधि के अनुरूप नहीं था, इसलिए इस वर्ष 30 मई को, उन्होंने संभागायुक्त सरगुजा को परसा में खनन से संबंधित प्रक्रिया को निलंबित करने और यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था।

पत्र के अनुसार, इस वर्ष 10 सितंबर को सरगुजा जिले में आयोग द्वारा बुलाई गई सुनवाई के दौरान, दस्तावेजों का परीक्षण किया गया और आवेदकों और अनावेदकों के बयान दर्ज किए गए।

पत्र में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान ग्राम सभा के प्रधान, तत्कालीन सरपंच, निवर्तमान सरपंच और पंचायत सचिव ने पुष्टि की कि क्रमांक 21 तक के प्रस्तावों पर ग्राम सभा में चर्चा और अनुमोदन किया गया था, जबकि क्रमांक 22 पर लिखे प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी गई थी। प्रस्ताव संख्या 22 को बैठक के बाद धोखाधड़ी से जोड़ा गया जिसका विषय था ‘कोयला ब्लॉक खोलने’ पर कोई आपत्ति नहीं है।

दोनों गांवों में ग्राम सभा की बैठक के समापन और उपस्थित लोगों के कार्यवाही रजिस्टर में हस्ताक्षर लेने के बाद, प्रस्ताव संख्या 22 को धोखाधड़ी से जोड़ा गया।

पत्र में कहा गया है कि अपनी जांच के बाद आयोग ने निष्कर्ष निकाला है कि परसा कोयला ब्लॉक के लिए पर्यावरण मंजूरी और वन भूमि के उपयोग में परिवर्तन की अनुमति प्राप्त करने के लिए आरआरवीयूएनएल ने कथित तौर पर जिला प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों का दुरुपयोग किया।

पत्र में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों का अवैधानिक कृत्य ग्राम सभा के अधिकारों पर भी हमला है।

आयोग ने कलेक्टर को परसा कोल ब्लॉक के लिए छह अप्रैल 2022 को वन विभाग द्वारा जारी अंतिम मंजूरी को रद्द करने तथा साल्ही, हरिहरपुर और फतेपुर में फिर से ग्राम सभा आयोजित करने और 15 दिनों के भीतर आयोग को इसके बारे में सूचित करने की सिफारिश की है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आरआरवीयूएनएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आयोग के अध्यक्ष पर परसा कोयला परियोजना के संदर्भ में एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया।

अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस मुद्दे पर आरआरवीयूएनएल द्वारा प्रस्तुत जवाब और दस्तावेजों का संज्ञान लिए बिना अध्यक्ष ने दुर्भावना से एकतरफा कार्रवाई की है।

भाषा संजीव नोमान

नोमान

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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