रायपुर। Chhattisgarh Rajyotsava 2022 पिछले पांच दिनों से चले आ रहे छत्तीसगढ़ राज्योत्सव मेले में रविवार को लोगो का जबरदस्त हुजूम देखते को मिला । राज्य के सभी जिलों से लोग अपने परिवार के साथ आकर मेले और यहां लगे प्रदर्शनी का लुफ्त उठाते दिखे। राज्योत्सव मेले में ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी लोगो को भी छत्तीसगढ़ी आभूषणों ने अपनी ओर आकर्षित किया । शहरी युवतियां तो छत्तीसगढ़ के इन पारंपरिक गहनों को पहन कर व देखकर उत्साह से भरी नजर आईं। छत्तीसगढ़ी आभूषणों में सुता, पहुंची, रुपया माला, करधनी, बनुवारिया, ककनी, मुंदरी, पैरी, कटहल, लच्छा, बिछिया ,नागमोती आदि गहने लोगो को बहुत ही ज्यादा पसंद आए।
Chhattisgarh Rajyotsava 2022 मेले में आए बहुत से लोगों को कहना है कि ये गहने उन्होंने पहली बार देखे हैं। कुछ विद्यार्थियों का कहना है कि इन गहनों के बारे में उन्होंने अभी तक सिर्फ किताबों में पढा था, लेकिन आज इस मेले में इन्हें देखने का भी मौका मिला। इतना ही नहीं ड्यूटी पर लगे अधिकारी व कर्मचारी भी इन आभूषणों की खरीददारी करते हुए नजर आए। मेले में आयी सुश्री अल्का सुश्री प्रीति वर्मा, सुश्री बरखा भगत का कहना है कि इन गहनों को उन्होंने आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान कलाकारों को पहने देखा था और अभी इन्हें खुद अपने सामने देख रहे हैं व पहन पा रहे है जो हमारे लिए बहुत खुशी की बात है।
छतीसगढ़ी आभूषणों के इस स्टाल की संचालिका सुश्री भेनू ठाकुर और उनके सहयोगी प्रीतेश साहू जी ने बताया कि हाटुम एक गोड़ी शब्द है जिसका अर्थ बाजार होता है। हाटुम एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसमे विभिन्न जनजातियों के द्वारा बनाई गई सामग्रियों की बिक्री की जाती है। इसमें गोंड, धुरवा, उरांव व बैगा जनजातियों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली सामग्री, आभूषण एवं परिधान सम्मिलित है। इसमें गिलट से बने आभूषण जिसमे सुता, पहुंची, रुपया माला, करधनी, बनुवारिया, ककनी, मुंदरी, पैरी आदि सम्मिलित है। बांस, लकड़ी व घास से बनी वस्तुओ में पिसवा, गप्पा, छोटे पर्स, पनिया (कंघी), पीढ़ा, चटाई सम्मिलित है। धुरवा जनजाति के द्वारा आभूषणों के रूप में प्रयोग की जाने वाली सिहाडी के बीजों से बने माला व पैजन सम्मिलित है। सभी जनजातियों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली झालिंग, फुनद्रा, कौड़ी का श्रृंगार, नेर्क माला, आदि आभूषणों को सम्मिलित किया गया है। साथ ही जनजातीय समूहों के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले परिधानों में साड़ी, गमछा, मास्क, कोट, कुर्ता, बैग एवं आदि भी शामिल हैं। सुश्री भेनु ठाकुर का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस महोत्सव मंो आदिवासी युवाओं को अपनी पहचान स्थापित करने का जो मौका दिया है उसने के लिए वो मुख्यमंत्री को दिल से धन्यवाद देते हैं।
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