रायपुर। CG Ki Baat: छत्तीसगढ़ में विपक्ष की न्याय यात्रा खुद को सक्रिय दिखाने के लिए की गई या बीजेपी सरकार की घेराबंदी के लिए कांग्रेस की 5 दिवसीय न्याय यात्रा का रायुपर में समापन हो गया कांग्रेस के तमाम नेताओं ने मंच से बीजेपी सरकार पर बड़े और तीखे हमले बोले विपक्ष ने सत्तापक्ष को लॉ-एंड-ऑर्डर पर ग्रिल करने की कोशिश की भी की पर सवाल ये कि कांग्रेस की न्याय क्या अपने मकसद में कामयाब रही है ? सवाल तो ये भी है कि इस यात्र का मकसद था क्या, खुद को जमीन पर एक्टिव दिखाना या सरकार को घेरना ? सवाल ये भी कि क्या सत्ता जाने के बाद, दो-दो चुनाव हारने के बाद पार्टी में वाकई एकता है या फिर गुटों में संघर्ष और तेज है यानि इस यात्रा के दोनों पक्षों पर इफेक्ट ज्यादा हुए हैं या फिर साइड इफेक्ट ?
छत्तीसगढ़ में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाकर, साय सरकार के खिलाफ, कांग्रेस की छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा का 2 अक्टूबर बुधवार को राजधानी में समापन हो गया। गिरौधपुरी धाम से 27 सिंतबर को शुरू हुई न्याय यात्रा तकरीबन 125 किलोमीटर का सफर तय कर, रायपुर के गांधी मैदान में समाप्त हुई। न्याय यात्रा के अंतिम दिन समापन कार्यक्रम में PCC प्रभारी सचिन पायलट, PCC चीफ दीपक बैज, पूर्व CM टीएस सिंहदेव, नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास मंहत समेत प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता शामिल हुए। अंतिम दिन खुद सचिन पायलट यात्रा के दौरान लगभग 7 किमी पैदल चले यात्रा के मकसद पर PCC प्रभारी सचिन पायलट ने कहा कि, हमें यात्रा निकलने का शौक नहीं था बल्कि प्रदेश में बदहाल कानून व्यवस्था ने हमें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया। विपक्षी दल के नाते सरकार की नाकामी जनता तक पहुंचाने का काम बीजेपी करती रहेगी ।
CG Ki Baat: इधर, कांग्रेस की न्याय यात्रा पर सीएम विष्णु देव साय ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कहा कांग्रेस को न्याय यात्रा के बजाए क्षमा यात्रा निकालनी चाहिए। क्योंकि उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में किया एक भी वादा पूरा नहीं किया, तो वहीं, PCC चीफ दीपक बैज ने कहा कि,यात्रा के रिस्पॉन्स देख बीजेपी भयभीत है। बैज ने बीजेपी सरकार से पूछा कि,GFX कांग्रेस से क्षमा यात्रा निकालने की नसीहत देने से पहले बीजेपी बताए, ताड़मेटला कांड,झीरम कांड,बलौदा बाजार अग्निकांड, कवर्धा में शख्स को जिंदा जलाना किसके राज में हुआ। बैज ने भाजपा सरकार के आंकड़े के साथ बहस की चुनौती भी डे डाली। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का लक्ष्य साफ है लगातार आंदोलनों के जरिए सरकार की घेराबंदी करना, जमीन पर सक्रीय दिखना इसके लिए जनता के मुद्दों पर प्रदर्शन से बेहतर और क्या होगा। विपक्ष के तेवर से ये भी साफ है कि सरकार की राह आसान ना होगी। सवाल ये है कि क्या कांग्रेस अपने आंदोलन, अपने प्रदर्शन में कामयाब हो पाई ? लोगों से जुड़ पाई, खुद के आंदोलन से जनता को जोड़ पाई ?