रायपुर। CG Ki Baat: लोकरंग के पर्व हरेली पर एक बार फिर सत्ता पक्ष-विपक्ष में कौन बड़ा और बेहतर छत्तीसगढ़िया इस पर बहस का मोर्चा खुल गया है। कांग्रेस का दावा है वही असल में छत्तीसगढ़िया संस्कृति और परंपरा की चिंता करते हैं। ये भी सही है कि पिछळी कांग्रेस सरकार ने खुद को छत्तीसगढ़ियावाद का पैरोकार साबित करने हर मुमकिन कोशिश की, जिसके चलते उस पर लोक पर्वों को सत्ता पर्व में बदलने के, क्षेत्रीयतावाद की राजनीति करने के आरोप लगाए गए। अब प्रदेश बीजेपी सरकार ने भी प्रदेश में हरेली को बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी कर ली है, लेकिन इस सियासी रस्साकशी ने लोक तिहार हरेली को एजेंडे वाला पालिटिक्स का मैदान बना दिया है। सवाल है क्या प्रदेश के तीज-त्योहारों पर किसी एक दल का अधिकार है, सवाल ये भी है कि क्या मौजूदा सरकार कांग्रेस के दबाव में ऐसा कर रही है ?
हरेली से पहले प्रदेश में एक बार फिर छत्तीसगढ़िया संस्कति के मान-सम्मान के बहाने आरोपों की बौझार की जा रही है। पिछली भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ में स्थानीय तीज-त्यौहारों,खेल-संस्कृति को लेकर बड़ा स्वरूप देकर नई परंपरा शुरू की, कांग्रेस का दावा है असल में उनकी सरकार ही छत्तीसगढिया स्वाभिमान की संरक्षक है, जबकि भाजपा सरकारों ने छत्तीसगढ़िया सेंटिमेंट्स की सालों उपेक्षा की अब सत्ता पलट चुकी है और मौजूदा साय सरकार ने इस साल भी हरेली तिहार को बड़े स्तर पर मनाने का निर्णय लिया है। तर्क ये कि भाजपा शुरु से ही देश और राज्यों की सांस्कृति-विरासत को बचाने पर यकीन रखती है। छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि, छत्तीसगढ़िया की बात कहने वालों को प्रदेश की जनता चुनावों में 2-2 बार खारिज कर चुकी है।
इधर, कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर उनकी नकल करने का आरोप लगाया है। PCC चीफ दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल के बाद मजबूरी में भाजपा सरकार को बोरे बासी खाना पड़ा और अब मजबूरी में सरकार ने हरेली तिहार मनाने का निर्णय लिया है।
CG Ki Baat: छत्तीसगढ़ में स्थानीय स्तर पर हरेली से ही तीज-त्योहारों की विधिवत शुरूआत होती है। छत्तीसगढ़िया किसान के लिए तो ये त्योहार दिवाली सा महत्वपूर्ण है। इसी दिन किसान अपने किसानी उपकरणों की पूजा कर खेती की शुरूआत करते हैं। लिहाजा अब हरेली पर बीजेपी सरकार भी बड़ा आयोजन कर छत्तीसगढ़िया रंग में रंगी नजर आएगी। सवाल ये कि क्या ये कांग्रेस के दबाव में हुआ है, क्या इन तीज-त्योहारों पर कांग्रेस अपना एकाधिकार जताना चाहती है, सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या लोक त्योहारों को सियासी वार-पलटवार से बचा नहीं जा सकता?