रायपुर: छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार ने जिले के प्रभारी मंत्री को DMF की शासी परिषद के अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने के संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चिट्ठी लिखकर साफ कर दिया है कि जिले के कलेक्टर ही DMF के अध्यक्ष होंगे। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार का अनुरोध ठुकराते हुए जल्द आदेश पर अमल की बात भी कही है। हालांकि कांग्रेस दावा कर रही है कि DMF में नियुक्ति का अधिकार राज्य को है।
DMF फंड के अध्यक्ष को लेकर केंद्र ने छत्तीसगढ़ का अनुरोध ठुकरा दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आग्रह पर केंद्र सरकार ने दो टूक कह दिया है कि जिला खनिज न्यास संस्थान में जिलों के प्रभारी मंत्री को अध्य़क्ष नहीं बनाया जा सकता, कलेक्टर ही इसके मुखिया रहेंगे जबकि सांसद सदस्य रहेंगे। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मुख्यमंत्री बघेल को पत्र लिखकर पुरानी व्यवस्था लागू करने को कहा है। माना जा रहा है कि केंद्र के इस कदम के बाद छत्तीसगढ़ में डीएमएफ के मामले में प्रभारी मंत्री और विधायक बाहर हो जाएंगे।
दरअसल सत्ता में आने के बाद बघेल सरकार ने पहले के फैसले को बदलते हुए प्रभारी मंत्रियों को DMF समिति का अध्यक्ष और विधायकों को समिति में बतौर सदस्य शामिल किया गया था। वहीं कलेक्टर समिति के सचिव बनाए गए थे। इस फैसले का बीजेपी नेताओं ने खूब विरोध किया। मामला केंद्र सरकार तक पहुंचा, फिर कुछ महीनों बाद केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ समेत सभी राज्यों को एक पत्र जारी किया जिसमें जानकारी दी गई DMF के अध्यक्ष कलेक्टर ही होंगे। केंद्रीय मंत्री के जवाब के बाद कांग्रेस सरकार पत्र का रिव्यू कर नए विकल्प तलाशने की बात कर रही है। सरकार की ओर से कानून मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि DMF में नियुक्ति का अधिकार राज्यों को है।
दरअसल रमन सरकार के कार्यकाल में कांग्रेस ने ही सवाल उठाया था कि कलेक्टर DMF की राशि का बंदरबांट कर रहे हैं, जिन खनन क्षेत्रों में विकास किया जाना चाहिए उन क्षेत्रों में विकास नहीं हो रहा है। इसी दौरान DMF की राशि से शहरों में विकास कार्य कराए जाने की बात भी कांग्रेस ने कही थी। केंद्र के फैसले पर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस जहां केंद्र सरकार पर अडंगा डालने की बात कर रही है, तो बीजेपी दावा कर रही है कि कांग्रेस सरकार में DMF की राशि में भ्रष्टाचार हुआ।
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार को DMF में 1000 करोड़ से ज्यादा की राशि प्राप्त होती है। केंद्र की नई गाइडलाइन के बाद प्रभारी मंत्री डीएमएफ की समिति के अध्यक्ष नहीं रह पाएंगे। वहीं विधायकों को भी समिति में जगह मिल पाएगी, इस पर संदेह की स्थिति है। बहरहाल राज्य सरकार ये जरूर कह रही है कि केंद्र से आए पत्र का परीक्षण कर कोई विकल्प ढूंढेंगे। अब देखना होगा कि ये विकल्प क्या होगा ? कुल मिलाकर DMF फंड के अध्यक्ष को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच टकराव का सिलसिला थम जाएगा,फिलहाल लगता नहीं।
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